हल्द्वानी के पिपलेश्वर महादेव मंदिर की महिमा हल्द्वानी: कुमाऊं का प्रवेश द्वार हल्द्वानी आर्थिक राजधानी के रूप में जानी जाती है. कुमाऊं के कण-कण में देवी देवताओं का वास माना जाता है. कुमाऊं मंडल कई सिद्ध पीठ के साथ-साथ ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी रही है. हल्द्वानी में पिपलेश्वर मंदिर की बड़ी महत्ता है.
हल्द्वानी में है पिपलेश्वर महादेव मंदिर: हल्द्वानी के पटेल चौक स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर कुमाऊं के लोगों की आस्था का केंद्र है. कहते हैं यहां जो भी भक्त आया, उसकी हर मनोकामना पूरी हुई. दुखियों और असहायों की विपदा पिपलेश्वर महादेव पल में हर लेते हैं. पटेल चौक पर करीब डेढ़ सौ साल पुराना पीपल का पेड़ आज भी इस मंदिर का साक्ष्य है. इस मंदिर को पिपलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि मंदिर की जड़ से शिवलिंग की उत्पत्ति हुई. भक्तों ने इस शिवलिंग को चांदी की पतली चादर से ढक मंदिर में स्थापित किया.
पिपलेश्वर महादेव मंदिर में है स्वयंभू शिवलिंग: मंदिर की स्थापना 1984 में की गई. पीपल के पेड़ के नीचे स्वयं भू शिवलिंग को मंदिर में स्थापित किया गया. पौराणिक मान्यता के बारे में कहा जाता है कि भगवान शंकर ने यहां वर्षों तपस्या करने वाले बाबा महादेव गिरि को दर्शन दिए थे. यहां का पीपल का पेड़ महादेव गिरि महाराज की तपोस्थली रहा है.
हर मनोकामना पूरी करते हैं पिपलेश्वर महादेव मंदिर: मंदिर के बाहर धार्मिक, पौराणिक महत्व के पीपल और बड़ के एक साथ पेड़ भी हैं, जहां शिव पूजन के साथ ही प्रतिवर्ष वट सावित्री का पूजन भी किया जाता है. कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में भगवान शिव को जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर के गर्भ गृह में संगमरमर से बनाया गया शिवलिंग भक्तों के विशेष आकर्षण का केंद्र है. शिवलिंग पर चांदी की परत लगाई गई है.
भोलेनाथ के साथ बजरंगबली और भैरवनाथ की मूर्ति के दर्शन: इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान शनि और बजरंगबली और भैरव बाबा की मूर्ति भी स्थापित है. मंदिर शहर के मुख्य बाजार में होने के चलते इस मंदिर में व्यापारियों की बड़ी आस्था है. व्यापारी अपना व्यापार शुरू करने से पहले भगवान शिव के मंदिर में माथा टेकने के साथ ही भगवान शिव को जलाभिषेक अवश्य करते हैं.
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सोमवार और शनिवार को पिपलेश्वर मंदिर में उमड़ते हैं श्रद्धालु: सोमवार और शनिवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ दिखाई देती है. कहा जाता है कि लोहे के कारोबार से जुड़ा व्यवसाय शुरू करने और नए वाहन खरीदने वालों लोग पहले मंदिर में पूजा जरूर करवाते हैं. शनिवार के दिन मंदिर में इनका तांता लगा रहता है. लोग यहां शनिदोष से मुक्ति के लिए भी आते हैं. महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं.