नैनीतालः उत्तराखंड एक बार फिर से भूंकप के झटकों से डोला है. बागेश्वर समेत मध्य हिमालयी क्षेत्रों में बीती देर रात भूकंप आया. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता का 3.2 मापी गई है. वहीं, भूकंप आने के बाद लोगों में डर का माहौल है.
रुद्रप्रयाग समेत पिथौरागढ़, धारचूला क्षेत्र में आए भूकंप ने प्रदेश भर के भूगर्भ शास्त्रियों में हलचल मचा दी है. भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार भूगर्भ शास्त्रियों की नजर है. भूकंप की गहराई जितनी ज्यादा होगी, भूकंप का असर उतना ही धरती पर कम होगा. देर रात आए भूकंप की गहराई 100 किलोमीटर के आसपास थी. जिससे कोई बड़ा खतरा नहीं होता है.
भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड राज्य में लगातार भूकंप के झटके आते रहते हैं. ऐसे में उत्तराखंड को भूकंप से होने वाली दिक्कतों और उसके बचाव को लेकर सचेत रहना होगा. भूगर्भ शास्त्रियों की मानें तो प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आ सकता है. भूगर्भ शास्त्रियों का मानना है कि 150 से 200 साल के अंतर में हर बार एक बड़ा भूकंप आता है. क्योंकि, लंबी अवधि के दौरान टेक्टोनिक प्लेटों के स्थान बदलने से तनाव बनता है और धरती की सतह पर इस प्रतिक्रिया में चट्टानें फट जाती हैं. आज से करीब 150 साल पहले विनाशकारी भूकंप आया था और अब जिस तरह से बड़ी तीव्रता के भूकंप आ रहे हैं. ऐसे में भूगर्भ शास्त्री अनुमान जता रहे हैं कि भविष्य में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है.
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वहीं, दबाव बढ़ने के बाद 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रंखला के हर 100 किलोमीटर के क्षेत्र में उच्च तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. आज से करीब चार करोड़ साल पहले हिमालय आज जहां है, वहां से भारत करीब 5 हजार किलोमीटर दक्षिण में था और इन घटनाओं के बढ़ने की वजह से धीरे-धीरे एशिया और भारत निकट आ गए. इससे हिमालय का निर्माण हुआ. महादेशीय चट्टानों का खिसकना सालाना 2 सेंटीमीटर की गति से जारी है. आज भारतीय धरती एशिया की धरती पर दबाव डाल रही है. इसी दबाव की वजह से बड़े विनाशकारी भूकंप आ रहे हैं.