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हल्द्वानी: ब्रिटिशकाल में 40 फुट ऊपर बनाई गई थी नहर, रखरखाव के अभाव में अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा

ब्रिटिशकाल में 1882 के आस-पास अंग्रेजों ने जमीन से 40 फुट ऊपर 52 पिलरों पर नहर बनाई है. लेकिन आज इस नहर का हाल बदहाल हो चुका है.सरकार अगर ध्यान दें तो ये फिर से इस धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है.लेकिन अब ये धरोहर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही है.

52 पिलरों पर अंग्रेजों ने बनाई नहर

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Published : Oct 17, 2019, 11:45 AM IST

Updated : Oct 17, 2019, 12:12 PM IST

हल्द्वानीः ब्रिटिशकाल में विकास के लिहाज से जो काम किए गए वो आज भी धरोहर के रूप में कायम है. उन्हीं धरोहर में से एक हल्द्नानी से 10 किलोमीटर दूर फतेहपुर वन क्षेत्र है में बनी ब्रिटिशकालीन बावन डाट सिंचाई नहर है. जो जमीन से 40 फुट ऊपर 52 पिलरों पर बनी है. 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हो चुकी ये नहर आज भी वैसे ही खड़ी है. हालांकि, सरकार और शासन की बेरुखी के चलते देखभाल के अभाव में ये नहर बदहाली की कगार पर है. आलम ये ही कि इस ब्रिटिशकालीन नहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.


ब्रिटिशकाल में 1882 के आस-पास अंग्रेजों द्वारा बनाई गई फतेहपुर में बनाई गई सिंचाई के लिए बावन डाट नहर 40 फुट ऊपर बड़े-बड़े 52 पिलरों पर खड़ी है. इसलिए इसका नाम 52 डाट नहर पड़ा. इस नहर की लंबाई करीब 1 किलोमीटर के आसपास है. यह नहर फतेहपुर से लामाचौड़ तक गुजरती है और कई दर्जन गांव की खेती को सिंचाई के लिए भाखड़ा नदी से पानी उपलब्ध कराती है.

52 पिलरों पर अंग्रेजों ने बनाई नहर

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वहीं, सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण बरसातों में तो इस नहर में पानी चलता है. जबकि, अन्य दिनों में यह नहर पूरी तरह से सूख जाती है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि यह धरोहर धीरे-धीरे अब बदहाली के दौर से गुजर रहा है. लेकिन सिंचाई विभाग या सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि साल 1905 में इस नहर में कुछ सालों तक लगातार पानी आता रहा. वहीं, कई सालों से नहर में अब पानी नहीं आता है.


सरकार अगर इस धरोहर को संरक्षित करती तो पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. क्योंकि आज भी 52 डाट नहर को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. लेकिन अब ये धरोहर धीरे-धीरे खंडहर हो रहा है और क्षतिग्रस्त होने की कगार पर है.

Last Updated : Oct 17, 2019, 12:12 PM IST

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