नैनीतालः हर साल उत्तराखंड के जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग सतर्क हो गया है. नैनीताल वन प्रभाग में जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. नैनीताल के डीएफओ टीआर बिजुलाल ने बताया कि नैनीताल क्षेत्र में 69 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं, जो जंगलों में लगने वाली आग को नियंत्रित करेंगे.
उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर अब ड्रोन कैमरे से पल-पल नजर रखी जाएगी. जैसे ही किसी भी स्थान से जंगल में आग लगने की सूचना प्राप्त होगी. तत्काल वन विभाग की टीम आग पर नियंत्रण पाएगी. इसके अलावा वन विभाग द्वारा नैनीताल की चाइना पीक क्षेत्र में वायरलेस मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है. जहां से कुमाऊं के जंगलों में लगने वाली आग की जानकारियां मिल सकेगी. इसके अलावा विभाग के द्वारा तीन वाहन आग बुझाने के कार्यों के लिए तैनात कर दिए गए हैं.
जंगलों में लगने वाली आग पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर वन प्रहरी भी बुझायेंगे जंगलों की आगःजानकारी देते हुए डीएफओ टीआर बिजुलाल ने बताया कि वन विभाग के द्वारा नैनीताल वन प्रभाग के अंतर्गत 200 से अधिक वन प्रहरी की तैनाती की गई है, जो वन अग्नि के दौरान जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण पाने का काम भी करेंगे. डीएफओ ने बताया कि जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं के बाद उस पर नियंत्रण पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इस दौरान आग बुझाने में ग्रामीणों का सहयोग कम मिलता है. जिस वजह से वन संपदा जलकर खाक हो जाती थी. इसी को देखते हुए इस बार वन प्रहरियों को आग बुझाने के काम पर भी लगाया गया है. जिससे फायर सीजन के दौरान जंगल को आग से बचाया जाएगा.
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आग से बचाने के लिए वन कर्मियों को दिया प्रशिक्षणः जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग के द्वारा शुक्रवार को नैनीताल वन प्रभाग के अंतर्गत नगर पालिका रेंज, नैना रेंज, कोशी, मनोरा, भवाली, उत्तरी गोला, दक्षिणी गोला, बडौन, सुल्तान नगरी लीसा डिपो, हनुमानगढ़ लीसा डिपो क्षेत्र के वनरक्षकों को जंगल में लगने वाली आग की घटना से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान देहरादून से नैनीताल पहुंचे उत्तरांचल कम्युनिकेशन सर्विसेज के एमडी संजय चौहान के द्वारा कर्मचारियों को वायरलेस सेट का प्रयोग व तकनीकी दिक्कतों के निवारण के बारे में प्रशिक्षण दिया. वन रक्षकों को फायर लाइन काटने, काउंटर फायर, खुद को आग से बचाने व ग्रामीणों की सुरक्षा करने का प्रशिक्षण भी दिया गया.