कालाढूंगी:पवित्र सावन महीने का आज चौथा सोमवार है. कोरोना के खतरे के बीच भक्त भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवालयों में पहुंच रहे हैं. कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित महादेव के मंदिर में भक्त पहुंच रहे हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक और आराधना कर रहे हैं.
कालाढूंगी के आरक्षित क्षेत्र बरहैनी रेंज में स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर लोगों की अगाध श्रद्धा का केन्द्र है. मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप में विराजमान हैं. माना जाता है मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार में बड़ा है, इसलिए इस धाम को मोटेश्वर महादेव कहा जाता है.
आबादी से कोसों दूर घने जंगल में बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर अतीत से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो सालभर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है. श्रद्धालु भुवन पांडेय कहते हैं कि मोटेश्वर शिवधाम की ये भूमि ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है. देशभर के शिवलिंगों का आकार मोटेश्वर महादेव से बड़ा नहीं है जो इस मंदिर को अलग बनाता है.