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मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से नहीं लौटता कोई खाली हाथ, बेहद खास है महिमा - शिव का प्रिय महीना सावन

नैनीताल के मुक्तेश्वर में मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर है. माना जाता है कि यहां के दर्शन करने पर भगवान शिव सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं. इसी वजह से इस जगह को मुक्तेश्वर कहा जाता है. ये भी कहा जाता है कि इसी मंदिर के नाम से इस जगह का नाम मुक्तेश्वर पड़ा था.

Mukteshwar Mahadev Temple
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर

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Published : Jul 20, 2022, 1:59 PM IST

हल्द्वानी: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है. ऐसे में इनदिनों लोग शिवालयों और मंदिरों में जाकर जलाभिषेक कर रहे हैं. इन्हीं मंदिरों में एक मुक्तेश्वर महादेव का धाम भी है. जिसकी महिमा दूर-दूर तक है. यह मंदिर भगवान शिव के 18 मुख्य मंदिरों में एक मंदिर है. माना जाता है कि यहां जलाभिषेक करने से भक्तों को मनोवांछित फल मिलता है.

उत्तराखंड के नैनीताल जिले की सबसे ऊंची चोटी पर मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर है. ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. करीब 350 वर्ष पुराने इस मंदिर को भगवान शिव के अलौकिक मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर के नाम से इस जगह का नाम मुक्तेश्वर पड़ा था. ये कई ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है. यह मंदिर समुद्र तल से 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.

मुक्तेश्वर महादेव की महिमा

यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आकर भगवान मुक्तेश्वर महादेव की आराधना कर मनवांछित फल की कामना करते हैं. श्रावण मास में इस मंदिर की और महत्ता बढ़ जाती है. दूर-दूर से श्रद्धालु आकर भगवान शिव की आराधना करते हैं. मंदिर के चारों और प्राकृतिक दृश्य अद्भुत हैं. पहाड़ की ऊंची चोटियों पर स्थापित मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.

मान्यता है कि मुक्तेश्वर का अर्थ भगवान शिव द्वारा सभी कष्टों से मुक्ति दिलाना है. मंदिर परिसर में भगवान शिव के अलावा भगवान हनुमान, मां पार्वती, भगवान श्री राम और और ब्रह्मा के भी मंदिर और मूर्तियां स्थापित हैं. मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. देश विदेश से भी यहां पर्यटक और श्रद्धालु मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन करने आते हैं. सर्दियों में यहां तापमान जीरो डिग्री पहुंच जाता है. उसके बावजूद भी श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं.

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मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक मान्यताएंःभगवान मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव अक्सर इस स्थान में तपस्या में लीन रहते थे. एक बार यहां मंदिर के निकट स्थित 'चौली की जाली' में भगवान शिव तपस्या में लीन थे. इस दौरान जागेश्वर धाम की यात्रा पर निकले बाबा गोरखनाथ का मार्ग रुक गया. जहां उन्होंने विशाल चट्टानों पर अपने गंडासे से प्रहार कर कई छेद कर यात्रा पर आगे बढ़ गए. जहां आज भी इस छिद्र की पूजा की जाती है.

मान्यता है कि जिस भी महिला को संतान प्राप्ति नहीं होती है, वो महिला इस छिद्र में प्रवेश कर निकल जाए तो उसको संतान की प्राप्ति अवश्य होती है. कुमाऊं के प्रसिद्ध मंदिरों में एक मंदिर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने के लिए काठगोदाम से सड़क मार्ग के रास्ते टैक्सी का सहारा लेना पड़ेगा. यहां 75 किलोमीटर की दूरी तय कर मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन हो सकेंगे.

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