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दुर्गा विसर्जनः विधि-विधान के साथ मां को दे रहे विदाई, भक्तों के छलके आंसू - विवि विधान से मां दुर्गा का विसर्जन

हल्द्वानी समेत विभिन्न जगहों पर विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के प्रतिमा का विसर्जन किया जा रहा है. वहीं, मां दुर्गा की विदाई की दौरान भक्तों के आंसू छलक आए. वहीं, उन्होंने कोरोना से मुक्ति दिलाने की कामना की.

maa durga visarjan
दुर्गा विसर्जन

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Published : Oct 25, 2020, 4:17 PM IST

Updated : Oct 25, 2020, 10:43 PM IST

हल्द्वानी/नैनीतालः दुर्गा पूजा के साथ ही शारदीय नवरात्र का समापन हो गया है. नौ दिनों तक भक्तों ने मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना बड़े ही विधि-विधान से की. आज जगह-जगह पूजा-हवन के बाद मां दुर्गा के मूर्ति विसर्जन का आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान मूर्ति विसर्जन से पहले महिलाओं ने मां दुर्गा का श्रृंगार कर उनकी विदाई की तैयारी की. वहीं, हल्द्वानी समेत लाल कुआं में मां दुर्गा के प्रतिमा का विसर्जन किया जा रहा है.

हल्द्वानी में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा का पंडाल का आयोजन किया गया था. मां दुर्गा की विदाई की दौरान भक्तों के आंसू छलक आए और लोगों ने मां दुर्गा को क्षमा याचना के साथ भावभीनी विदाई दी. इस दौरान सुहागिन महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना की. वहीं, मां दुर्गा से कोरोना से मुक्ति दिलाने की कामना भी की.

नैनीताल में दुर्गा पूजा.

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वहीं, मूर्ति विसर्जन से पहले शहर में जगह-जगह मां दुर्गा की शोभायात्रा निकाली जा रही है. दुर्गा पूजा के साथ-साथ देर शाम रावण दहन का आयोजन भी किया जाएगा. हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के चलते विभिन्न तीज-त्योहारों पर इसका खासा असर देखने को मिल रहा है. दुर्गा पूजा पर भी कोरोना का असर देखने को मिला.

नैनीताल में मां दुर्गा की ईको फ्रैंडली मूर्तियां
हर साल बंगाली समुदाय के लोग नैनीताल में हर्ष और उल्लास के साथ दुर्गा महोत्सव मनाते हैं. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सादगी से महोत्सव मनाया जा रहा है. वहीं, नैनीताल में 63 साल के इतिहास में मां दुर्गा की मूर्तियों का पहली बार नगर भ्रमण नहीं कराया गया.

बता दें कि हर साल मां दुर्गा की मूर्तियों का भव्य रूप में निर्माण किया जाता था और इन मूर्तियों का निर्माण करने के लिए बंगाल समेत बाहर के क्षेत्रों से कारीगर नैनीताल आया करते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए मां दुर्गा की छोटी-छोटी इको फ्रेंडली मूर्तियां नैनीताल लाई गई थी. इन मूर्तियों को बनाने में केवल मिट्टी और प्राकृतिक रंग का प्रयोग किया गया था.

Last Updated : Oct 25, 2020, 10:43 PM IST

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