देव दीपावली पर धरती पर आते हैं देवता हल्द्वानी: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व दीपावली के ठीक 15 दिनों के बाद मनाया जाता है.इस दिन दीपावली की तरह की दीपक जलाने की परंपरा है. मान्यता है कि देव दीपावली के दिन काशी में देवी-देवता आते हैं और दीपावली का पर्व मनाते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार दिन स्नान, दान के साथ दीपदान का विशेष महत्व है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक आज 26 नवंबर को देव दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, जबकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान भी 26 नवंबर को होगा. ज्योतिष के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर, दोपहर 3.52 तक रहेगा पूर्णिमा तिथि 27 नवंबर,दोपहर 02.45 तक रहेगा. प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त 26 नवंबर को शाम 5:07 से लेकर करीब 02 घंटे 40 तक की अवधि रहेगी.
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देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के तेल का दिया जलाएं. इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें. इस दिन फल फूल मिठाई नदियों में प्रवाहित करने से देवता प्रसन्न होते हैं. घर में तुलसी के पेड़ मुख्य चौखट, ईशान कोण में लगाएं और घर के पूजा स्थान में दीपक जलाएं. इसके अलावा घर के पास किसी मंदिर में जाकर दीपक जलाएं, ऐसा करने से कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने का पुण्य प्राप्त होता है.
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देव दीपावली पर भगवान शिव को प्रसन्न करने का दिन भी होता है. इस दिन भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लगाएं घी का दीपक जलाने से भगवान शिव सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. मान्यता है कि इस दिन दीपदान करने से कभी न समाप्त होने वाला पुण्य मिलता है और सभी प्रकार के पापों का अंत होता है. अग्निपुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है कि देवताओं के लिए दीपदान से बढ़कर कोई व्रत नहीं है.