हल्द्वानीःउत्तराखंड में नए परिवहन एक्ट लागू होने के बाद नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में लोग कथित रूप से सीट बेल्ट को जानलेवा मानकर परिवहन नियमों में फेरबदल की मांग मुखर करने लगे हैं. वहीं सीट बेल्ट को लेकर लोग सोशल मीडिया के माध्यम से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में परिवहन विभाग अब सीट बेल्ट से होने वाले फायदे को लेकर लोगों को जागरूक कर रहा है, जिससे हादसों पर लगाम लग सके.
गौर हो कि कुछ समय पहले श्रीनगर के धारी देवी के पास एक कार अलकनंदा नदी में जा गिरी. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई. घटना के वक्त कार में तीन लोग सवार थे. ये तीनों लोग धारी देवी घूमने के लिए जा रहे थे. तब घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अगर कार स्वामी ने सीट बेल्ट नहीं पहनी होती तो शायद बाहर छिटकने से उनकी जान बच सकती थी. इस दुर्घटना में देंवेद्र सिंह निवासी श्रीकोट, प्रवीण सिंह निवासी टिहरी की मौत हो गयी. इसके बाद लगातार पहाड़ों से सीट बेल्ट की अनिवार्यता खत्म करने की मांग हो रही है.
इस दौरान रेस्क्यू कर रही टीम को मृतकों के शवों को बाहर निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. ड्राइवर सीट पर बैठे कार स्वामी के शव को बगल में बैठे व्यक्ति की सीट बेल्ट काट कर बाहर निकालना पड़ा था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सरकार से पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है. क्योंकि ऐसी घटनाओं में जब वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर सीट बेल्ट पहना व्यक्ति वाहन से बाहर निकलने के लिए कोई भी हरकत नहीं कर पाता है.
लोगों द्वारा पहाड़ों पर चलने वाले वाहनों में सीट बेल्ट को जानलेवा बताया जा रहा है, जिसको लेकर इन दिनों कुछ लोग सोशल मीडिया से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. लोगों की मानें तो पहाड़ पर होने वाले सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट लगा व्यक्ति वाहन से नहीं कूद पाता है न हीं छिटक पाता है. ऐसे में वाहन में बैठे व्यक्ति वाहन के साथ खाई में चला जाता है जो उसके लिए जानलेवा साबित होती है.
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