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नौकुचियाताल में मछलियों पर संकट, एरिएशन की मांग - Ariasians plant in Naukuchiatal of bhimtal

नौकुचियाताल में मछलियों पर संकट बढ़ रहा है. ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. ताल में एरिएशन की मांग जोर पकड़ रही है.

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नौकुचियाताल में एरिएशन की मांग

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Published : May 28, 2020, 2:37 PM IST

नैनीताल:कुमाऊं की प्रसिद्ध प्राकृतिक 'गहरी झील' नौकुचियाताल में 'एरिएशन प्लांट' न चलने के कारण मछलियों पर संकट मंडरा रहा है. पर्यटन कारोबार से जुड़े व्यवसायियों और स्थानीय निवासियों ने नगर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र बृजवासी से मुलाकात कर तालाब के अस्तित्व को बचाने की मांग की है. उनकी मांग है कि कुदरत की अनुपम धरोहर इस झील में प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन दिलाई जाए. वहीं, मामले को प्रमुखता के साथ लेते हुए 'मुख्यमंत्री सचिव/कुमाऊं आयुक्त' को पत्र भेज नौकुचियाताल में झील की पारदर्शिता बढ़ाने तथा झील में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने की मांग की गई है.

बता दें कि, सरकार द्वारा 2014 में 12 करोड़ की परियोजना बनाकर नौकुचियाताल में मशीन संचालित की गई. इससे झील की पारदर्शिता, सौंदर्य बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन प्लांट चलने से प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन भी मिलने लगी थी. लेकिन पिछले साल से प्लांट की मशीन का संचालन करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया गया. इस कारण काम बंद होने से करोड़ों की मशीन जंग लगने की कगार पर है. अब झील की गहराई में ऑक्सीजन की कमी से मछलियां मरने लगी हैं.

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पूरन चंद्र बृजवासी ने बताया कि पूर्व में 'एशियन डेवलपमेंट बैंक' के सहयोग से "इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम और पर्यटन" के तहत गहरी नौकुचियाताल झील में पानी को साफ करने के लिए 'एरिएशन प्लांट' का काम शुरू हुआ था. इस योजना को संचालित करने वाली कंपनी का अनुबंध वर्ष 2017 में ही समाप्त हो गया. इसके बाद भी पर्यटन विभाग ने इस परियोजना को हैंड ओवर नहीं लिया और संस्था ने भी धन की चाह में योजना का संचालन जारी रखा. संस्था ने सितंबर 2019 से मशीनों का संचालन बंद कर दिया.

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