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दिवाली पर मिट्टी के डेकोरेटिव आइटम बन रहे ग्राहकों की पसंद, कुम्हारों की जगी उम्मीद

दीपावली पर मिट्टी के डेकोरेटिव आइटम, रंगीन दीए ग्राहकों की पसंद बन रहे हैं. जिसके कारण कुम्हारों की उम्मीदें जग गई हैं. कारीगरों का कहना है इस बार उनको दीपावली में काफी उम्मीदें हैं.

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दिवाली पर मिट्टी के डेकोरेटिव आइटम बन रहे ग्राहकों की पसंद

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Published : Oct 19, 2022, 1:44 PM IST

हल्द्वानी: दीपों का पर्व दीपावली नजदीक है. दीपावली के मद्देनजर बाजार सज चुके हैं. ऐसे में अब लोग दीपावली त्योहार को रंगीन करने के लिए चाइनीज उत्पाद छोड़ पारंपरिक मिट्टी के बने डेकोरेटिव आइटम खरीद रहे हैं. आधुनिकता के इस दौर में भी दिवाली पर मिट्टी के दीए लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. आमतौर पर शहरों के आस-पास गांवों में दीए बनते हैं. ऐसे में रंगीन दीयों की डिमांड बढ़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के वोकल फॉर लोकल अभियान (Vocal for Local Campaign) के तहत आमजन इसमें पूरी तरह से भागीदारी करने का मन बना चुके हैं. ऐसे में अब लोगों की पहली पसंद मिट्टी से बने डिजाइनिंग आइटम के मूर्तियों के अलावा दीयों की डिमांड खूब हो रही है.

खुशियों के इस पर्व में लोगों में घरों को सजाने का उत्साह इस बार काफी ज्यादा है. बाजार गुलजार हो चुके हैं. शहरवासी वोकल फॉर लोकल की थीम पर अपने घर को सजाने के लिए मिट्टी से बने दीए, डेकोरेटिव आइटम और मूर्तियां खरीद रहे हैं. ग्राहकों का इसके प्रति बढ़ते रुझान से कारीगरों के चेहरों भी खिल उठे हैं.
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बाजारों में कई तरह की डिजाइन के मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है. इनमें विशेष रंग-बिरंगी कलाकृतियों के छोटे-बड़े और कई आकृति वाले दीए दिखाई दे रहे हैं. जिनकी कीमत 5 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है. ये सभी कलाकृतियां शहरवासियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. मिट्टी का कारोबार करने वाले कुम्हार प्रदीप प्रजापति ने बताया ग्राहकों के डिमांड के अनुसार अब मिट्टी से बने आइटम में परिवर्तन किया गया है. बाजारों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अपने कारोबार में परिवर्तन करते हुए मिट्टी से बने दीयों के अलावा मिट्टी की तरह-तरह के मूर्तियां और डिजाइनिंग आइटम भी बना रहे हैं. जिससे लोग पारंपरिक चीजों की ओर फिर से आकर्षित हो सकें.
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उन्होंने बताया कि डिजाइनिंग दीए और मिट्टी के आइटम उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बन रहे हैं. मिट्टी से बने आइटम को अब कलर-पेंट करके इनकी खूबसूरती में चार चांद लगाये जाते हैं. कारीगरों का कहना है कि इस बार उनको दीपावली में काफी उम्मीदें हैं, लेकिन अभी कारोबार पूरी तरह से मंदा है. इसका पूरा मेहनताना भी नहीं मिल पाता. लोग सिर्फ रंगीन दीयों की डिमांड कर रहे हैं और कोरे मिट्टी के दीयों से मुंह मोड़ रहे हैं, जिसके चलते कारीगर काफी परेशान भी हैं.
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ऐसे में ईटीवी भारत भी आप सब से अपील करता है कि इस दीवाली रंगीन दीयों से घर-आंगन को रोशन करने के साथ साथ आप मिट्टी के दीए को जरूर प्रयोग करें. जिससे कुम्हार बिरादरी के कारीगरों को उनका मेहनताना मिलेगा. दीयों की रोशनी के जैसे उनके घर भी रोशन होंगे.

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