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नैनीताल में फिर मंडराया खतरा, चाइना पीक दरकने से खौफजदा लोग

बीते दिनों हुई तेज बारिश और बर्फबारी से भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाने वाली चाइना पीक दरकने लगी है. ऐसे में इस पहाड़ी का करीब 50 मीटर से ज्यादा का हिस्सा दरकने से लोगों में दहशत का माहौल है.

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चायना पीक की पहाड़ी से गिरे मलबे.

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Published : Jan 30, 2020, 7:46 PM IST

नैनीतालःसरोवर नगरी में एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है. यहां बलियानाला में हो रहे भूस्खलन के बाद अब चाइना पीक के दरकने से शहर पर नया खतरा मंडराने लगा है. चाइना पीक का करीब 50 मीटर से ज्यादा का हिस्सा दरक गया है. जिसके मलबे में दर्जनों पेड़ों दब गए है. वहीं, पहाड़ी से पत्थर और मलबे गिरने की आवाज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है. ऐसे में लोग दहशत के मारे घरों से बाहर निकल गए हैं.

बता दें कि साल 1993 की अतिवृष्टि के कारण चाइना पीक का बड़ा हिस्सा दरक गया था. जिससे पेड़ और मलबा बहकर निचले इलाकों में पहुंच गया था. साथ ही चाइना पीक से आने वाले मलबे के कारण पूरा नाला पट गया था. इतना ही नहीं शेरवानी से लेकर मौजूदा हाई कोर्ट से ऊपरी इलाके में भी मलबा आ गया था.

चायना पीक की पहाड़ी से गिरा मलबा.

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इस परिस्थितियों में करीब चार महीने तक लोगों को स्कूलों में शरण दी गई थी. उत्तर प्रदेश सरकार के दौर में भूगर्भ विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने इस पहाड़ी का अध्ययन किया तो निष्कर्ष निकला कि नालों के अतिक्रमण की वजह से मलबा आवासीय कॉलोनियों तक पहुंचा है. इसके बाद चाइना पीक का ट्रीटमेंट किया गया. सैनिक स्कूल से लेकर हंस निवास और सत्यनारायण मंदिर तक सुरक्षा दीवार बनाई गई.

चायना पीक की पहाड़ी से गिरे मलबे.

वहीं, बीते दिनों हुई तेज बारिश और बर्फबारी के बाद भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले चाइना पीक दरकने लग गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहाड़ी दरकने की आवाज सुनकर लोग घरों से बाहर आ गए. अभी भी लोगों में खौफ का माहौल है. पहाड़ी से लगातार कटाव हो रहा है. जिससे खतरा बरकरार है.

संवेदनशील जगहों का निरीक्षण करती टीम.

उनका कहना है कि चाइना पीक की तलहटी में हजारों की आबादी रहती है. इसमें हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीशगण, महाधिवक्ता, केएमवीएन मुख्यालय समेत होटल, सैकड़ों आवासीय मकान हैं. ऐसे में इनके ऊपर खतरा बना हुआ है. वहीं, डीएम सविन बंसल ने कहा कि आपदा प्रबंधन टीम मौके पर जाकर पूरी स्थिति का जायजा ले रही है. साथ ही भूगर्भीय वैज्ञानिक भी इस भूस्खलन के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं.

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