हल्द्वानी: पूर्वजों को समर्पित पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 15 दिनों की अवधि पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहलाता है. इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है और समापन 14 अक्टूबर को होगा. कहा जाता है कि है पितृ पक्ष में विधि-विधान से पितरों को श्राद्ध और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कई प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं. ज्योतिष के अनुसार इस बार पितृ पक्ष पर 30 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एक साथ बनने जा रहा है.
Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष पर 30 साल बाद बन रहा खास योग, जानिए तिथि और महत्व - Pitru Paksha 2023
Pitru Paksha 2023 इस बार पितृ पक्ष पर खास योग बनने जा रहा है और करीब पितृ पक्ष पर 30 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एक साथ बन रहा है. जिसका ज्योतिष खासा महत्व बता रहे हैं. वहीं इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है, जबकि समापन 14 अक्टूबर को होगा.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Sep 26, 2023, 10:04 AM IST
|Updated : Sep 26, 2023, 11:04 AM IST
श्राद्ध पक्ष में बन रहा खास योग:ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक पितृ पक्ष पितरों को समर्पित है.इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है.पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके. ज्योतिषाचार्य के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने की परंपरा है. कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज अपने परिवार से मिलने धरती पर आते हैं.
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ऐसे करें दान पुण्य:ऐसे में लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध कर सकते हैं.माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते उन्हें पितृ दोष लगता है. श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है. ज्योतिष के अनुसार पितृपक्ष के समय में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और पितरों को पानी देना चाहिए. इस दौरान दान पुण्य ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए. गौ माता, कुत्ते,बिल्ली और कौवों को भोजन कराना शुभ माना जाता है. ब्राह्मण को भोजन कराने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है.