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नैनीताल: बारिश और ओलावृष्टि ने छीनी किसानों को रोजी-रोटी, चौपट हुई फसल

कर्ज में डूबे किसानों पर अब कोरोना वायरस के बाद मौसम की बड़ी मार पड़ी है. बीते दिनों पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. जिससे अब पहाड़ के काश्तकार मायूस हैं.

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बारिश से संकट में किसान.

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Published : Apr 19, 2020, 4:10 PM IST

नैनीताल: कर्ज के बोझ तले दबे किसानों पर अब कोरोना वायरस के बाद मौसम की बड़ी मार पड़ी है. बीते दिनों पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. जिसके चलते काश्तकार मायूस हो गए हैं. बारिश और ओलावृष्टि से नैनीताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़ समेत आस-पास के पहाड़ी क्षेत्रों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जिससे अब पहाड़ के काश्तकार मायूस हैं.

कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे पहाड़ के काश्तकारों पर अब मौसम की दोहरी मार पड़ी है. बीते दिनों नैनीताल समेत आस-पास से पहाड़ी क्षेत्रों में हुई ओलावृष्टि से पहाड़ में होने वाली फल और फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है. काश्तकारों की मानें तो अब उनके सामने बैंक से लिए गए लोन को वापस करने तक के रुपये नहीं हैं. जिससे आने वाले समय में पहाड़ के गरीब काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

बारिश से संकट में किसान.

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कोरोना वायरस के चलते पहले से ही काश्तकारों को इस बार उनकी फसल का उचित भाव नहीं मिल पाया है. वहीं बची कसर मौसम ने पूरी कर दी है. खेतों में ही आलू, मटर, बैगन, बीन समेत आडू, खुमानी की फसल चौपट हो गई है. काश्तकार बताते हैं कि बीते दिनों क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि से उनके फलों के पेड़ पर टैफ्रिना नामक बीमारी लग गई है. जिससे आने वाले सालों में भी फल नहीं आएगा.

नैनीताल का रामगढ़, मुक्तेश्वर क्षेत्र अपनी फसल और फलों के लिए जाना जाता है. यहां होने वाले फल आडू, पूलम समेत अन्य फलों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत अन्य महानगरों तक भेजा जाता था. जिसकी बड़ी संख्या में हर साल मांग होती है. अब पहाड़ का काश्तकार सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी कुछ मदद करे, जिससे वे इस घाटे से उबर सकें.

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