हल्द्वानी: उत्तराखंड के लिए एक अच्छी खबर है. अभी तक नेत्रदान और कार्निया प्रतिरोपण के लिए लोगों को बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता था. लेकिन उत्तराखंड में पहली बार हल्द्वानी के सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में आई बैंक की शुरूआत की गई है. यहां नेत्रदान और कार्निया प्रतिरोपण (corneal transplant) कर नेत्रहीन मरीजों को रोशनी देने का काम शुरू कर दिया गया है.
एसटीएच में शुरू हुआ कार्निया प्रत्यारोपण, नेत्रदान कर बुजुर्ग महिला की रोशनी लौटाई
कुमाऊं में नेत्रदान और कार्निया प्रतिरोपण के लिए लोगों को बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता था. अब उन्हें बाहरी राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में कार्निया प्रतिरोपण कर नेत्रहीन मरीजों को रोशनी देने का काम शुरू कर दिया गया है.
रविवार को एक नेत्रहीन महिला के कार्निया का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण (Haldwani cornea transplant) किया गया. डॉ. जीएस तितियाल विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग व प्रभारी आई बैंक द्वारा बताया गया कि डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय (Haldwani Sushila Tiwari Hospital) के आई बैंक में दिनांक 26 अगस्त शुक्रवार को प्रथम नेत्रदान हुआ था, जो 81 वर्षीय तुलसी धानिक निवासी लालडांठ, बिठोरिया के द्वारा किया गया था. दान किये गये कार्निया का प्रत्यारोपण डॉ. तितियाल और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक किया. लालकुआं निवासी 81 वर्षीय एक महिला जो दोनों नेत्रों से नेत्रहीन थी, उसकी दोनों नेत्रों कि पुतलियां खराब थीं. उसका रविवार को सम्पूर्ण आवश्यक जांचों के उपरांत कार्निया का प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया.
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सुशीला तिवारी राजकीय हॉस्पिटल में अब आई बैंक की स्थापना की गई है, जहां अन्य नेत्रहीन रोगियों का कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाएगा. डॉक्टर तितियाल ने बताया कि सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाए. जिसके लिए हमारी टीम और काउंसलर चिकित्सालय में इलाज के दौरान जिन रोगियों की मृत्यु हो जाती है, उनके परिजनों से उनके नेत्रदान करने हेतु आग्रह कर रहे हैं, ताकि किसी नेत्रहीन व्यक्ति को रोशनी मिल सके. वहीं आई बैंक में कार्निया प्रत्यारोपण शुरू होने से कुमाऊं क्षेत्र के नेत्रहीन मरीजों को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. डॉक्टर तितियाल ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि नेत्रदान हेतु आगे आएं व अपने परिजनों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करें.