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नये श्रम कानूनों के विरोध में उतरे संविदा कर्मचारी, राज्य सरकार के खिलाफ भरी हुंकार - Contract employees warned the government

उत्तराखंड उपनल और आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त संविदा कर्मियों ने सरकार के खिलाफ हुंकार भर दी है.

Contract workers opened front against state government in protest against new labor laws
नये श्रम कानूनों के विरोध में संविदा कर्मचारी

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Published : Feb 4, 2021, 9:52 PM IST

नैनीताल: केंद्र सरकार के द्वारा श्रम कानून में किए गए बदलाव के खिलाफ संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारी लामबंद होने लगे हैं. कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है अगर श्रम कानून में किए गए बदलाव वापस नहीं लिये गये तो कर्मचारी सरकार के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा खोल देंगे.

एक अप्रैल से लागू होने वाले नए श्रम कानून बिल के खिलाफ कर्मचारी संगठन अब लामबंद होने लगे हैं. इस बिल के विरोध में विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन, रोडवेज संविदा कर्मचारी,उपनल संविदा कर्मचारी समेत कई संगठनों ने इसके लिए संयुक्त मोर्चा गठन तैयार कर लिया है. नैनीताल में इन सभी संगठनों की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा गया कि नया कानून कर्मचारियों के हितों के बजाय मालिकों के हक में है. लिहाजा,एक अप्रैल से होने जा रहे श्रमिक कानून सुधार बिल में फिर से सुधार किया जाना चाहिए.

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इस दौरान संगठन के अधिवक्ता एमसी पन्त ने कहा कि हाई कोर्ट ने कई बार इन संविदा कर्मचारी संगठनों के हक में फैसला किया है. ताकि दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ न हो सके. मगर इसके बावजूद सरकार उद्योगपति और पूंजीपतियों को फायदा देने के लिए नए कानून बना रही है.

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वहीं, अब राज्य कर्मचारी सरकार से समान कार्य समान वेतन देने, केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानून में किए गए बदलाव को वापस लेने समेत कर्मचारियों को नियमित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि कर्मचारी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. वहीं कर्मचारियों ने कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो मजबूरन उन्हें सरकार के खिलाफ लामबंद होकर मोर्चा खोलना पड़ेगा.

क्या है नये कानून

नए श्रम कानून संशोधन 2020 में यूपी समेत 7 बीजेपी शासित राज्यों में यह कानून लागू किया गया है. इस कानून में काम करने के घंटों को 8 की जगह 12 घंटे कर दिया गया है लेकिन यहां सरकार ने कहा है कि 12 घंटे का काम वर्कर अपनी इच्छा से कर सकता है.

ये हुए हैं नए बदलाव

  • उद्योगों को कामगार क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 और बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 का पालन करना होगा.
  • उद्योगों पर अब पारिश्रमिक भुगतान अधिनियम, 1936 की धारा 5 लागू होगी.
  • इस कानून में बाल मजदूरी और महिला मजदूरों से जुड़ें प्रावधान जारी रहेंगे.
  • इन कानूनों के अलावा बाकी सभी कानून अगले 1000 दिनों के लिए स्थगित किए गये हैं.
  • नए कानून में विवादों का निपटारा, मजदूरों का स्वास्थ्य, उनके काम करने से जुड़े कानून और काम की सुरक्षा को कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया है.
  • इतना ही नहीं इस कानून में ट्रेड यूनियन को मान्यता देने वाले कानून को भी खत्म कर दिया गया है.
  • कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मजदूर और प्रवासी मजदूरों से जुड़े कानून भी खत्म कर दिए गये हैं.
  • उद्योगों में अगले तीन माह तक अपनी सुविधा को देखते हुए काम कराने की पूरी छूट दी गई है.

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