हल्द्वानी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अभी 6 महीने का वक्त है. लेकिन कांग्रेसियों से सब्र नहीं हो पा रहा है. पार्टी के नेताओं ने अभी से टिकट के लिए अपनी दावेदारी ठोकनी शुरू कर दी है. हल्द्वानी विधानसभा सीट पर अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर शुक्रवार 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर दो गुट आपस में भिड़ गए.
दरअसल, शुक्रवार को हल्द्वानी के स्वराज आश्रम कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर कांग्रेसियों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस दौरान सभी कांग्रेसी नेता अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मंच पर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सतीश नैनवाल सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद थे. इसी दौरान हल्द्वानी विधानसभा सीट की दावेदारी का मुद्दा उठ गया.
पढ़ें-मिशन UK 2022: केंद्रीय नेताओं ने बढ़ाया सियासी पारा, कांग्रेस बोली- हमारे पास राज्य में ही हैं बड़े लीडर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इकबाल भारती ने अपने संबोधन में कहा कि इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उनके बेटे सुमित हृदयेश हल्द्वानी विधानसभा सीट के प्रबल दावेदार हैं. उनके अलावा किसी में दम नहीं कि कोई हल्द्वानी विधानसभा सीट पर दावेदारी कर सके.
सद्भावना दिवस पर भिड़े कांग्रेसी. इकबाल भारती ने तो यहां तक कह दिया कि किसी माई के लाल में दम नहीं कि वह हल्द्वानी विधानसभा सीट से दावेदारी कर सके. इकबाल भारती का ये बयान वहां बैठे दूसरे गुट के अन्य नेताओं को चुभ गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और व्यापार मंडल के अध्यक्ष हुकुम सिंह कुंवर, इकबाल भारती के इस बयान पर आग बबूला हो गए.
पढ़ें-राखी पर 'भैया धन सिंह' को मिला बहनों से तोहफा, 300 महिलाओं ने ली BJP की आजीवन सदस्यता
उन्होंने कहा कि वे खुद हल्द्वानी विधानसभा सीट से दावेदार हैं. इसके बाद महिला कांग्रेस की तरफ से शशि वर्मा और शोभा बिष्ट ने भी खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर दी. सभी एक-दूसरे को आंखें दिखाने लगे. हर कोई अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बता रहा था.
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की जयंती का कार्यक्रम हंगामे में बदल गया. वहां मौजूद कुछ नेताओं ने इस हंगामे को अपने मोबाइल में कैद कर लिया. गौरतलब है कि उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है. जब इंदिरा हृदयेश जीवित थीं तब उनकी कभी हरीश रावत से नहीं बनी. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अब नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और हरीश रावत में भी छत्तीस का आंकड़ा है.
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत कभी हरीश रावत के बेहद खास थे. जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे तो रणजीत रावत की तूती बोलती थी. रणजीत को ही तब सुपर पावर कहा जाता था. लेकिन जब कांग्रेस की सरकार गई तो रणजीत और हरदा में भी अनबन हो गई. रणजीत रावत ने तो एक बार हरीश रावत पर ऐसे-ऐसे आरोप लगा दिए थे कि लोग सन्न रह गए थे. रणजीत रावत ने कहा था कि- हरीश रावत क्रियाएं करते थे, जैसे 13-14 मालाएं गले में पहनना, हर जेब में अलग-अलग रंग का कपड़ा रखना शामिल था. उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि जो व्यक्ति पूजा करने के बजाय, कर्म करने के बजाए, तंत्र क्रियाओं में लग जाए तो उसके साथ राजनीतिक जीवन सुचारू रखना बड़ा मुश्किल काम है.
आज हल्द्वानी में टिकट की दावेदारी के लिए अपने जननेता राजीव गांधी की जयंती पर लड़-भिड़ बैठे कांग्रेसियों ने फिर साबित किया कि उनकी पार्टी गुटबाजी से कभी बाहर नहीं आ सकती है. मौका चाहे जो भी हो.