रामनगर:उत्तराखंड की सियासत में कभी हरीश रावत-रणजीत की जोड़ी को जय-बीरू की जोड़ी कहलाती थी. लेकिन आज इन रिश्तों में ऐसी खटास है कि दोनों एक दूसरे को 'फूटी आंख नहीं सुहाते' हैं. वहीं एक बार फिर कांग्रेस प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रणजीत सिंह रावत ने कहा कि हरीश रावत बड़ी मासूमियत से झूठ बोलते हैं. किसी भी नए राजनैतिक कार्यकर्ता को अफीम चटाते हैं, फिर सम्मोहन में ले लेते हैं. रणजीत रावत ने आगे कहा कि मेरा नशा खुद पैंतीस साल बाद टूटा.
कभी एक-दूसरे के लिए जान देने वाले रणजीत सिंह रावत और हरीश रावत की राहें पिछले कुछ सालों से जुदा-जुदा हैं. इस विधानसभा चुनाव में रणजीत रावत रामनगर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन हरीश रावत ने बाजी मार ली थी. हालांकि विरोध के बाद उन्हें लालकुआं से चुनाव लड़ना पड़ा, लेकिन वहां से भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. हार के साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है. जिसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही अब कभी उनके खास में गिने जाने वाले रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत पर जोरदार हमला बोला है. रणजीत रावत ने कहा कि हरीश रावत बड़ी मासूमियत से झूठ बोलते हैं.
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किसी भी नए राजनैतिक कार्यकर्ता को अफीम चटाते हैं, फिर सम्मोहन में ले लेते हैं. रणजीत रावत ने आगे कहा कि मेरा नशा खुद पैंतीस साल में टूटा. रणजीत रावत यहीं नहीं रुके. उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने टिकट के नाम पर ठगा है. एक बड़ी धनराशि इकट्ठी की है. वे लोग उनके चक्कर काट रहे हैं. कुछ के पैसे उनके मैनेजर लौटा चुके हैं. कुछ लोग उनके चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये सारी चीजें सामने आएंगी. वे झूठ बोलते हैं पहले मासूमियत से, पहले लोग समझते नहीं थे और अब समझने लगे हैं.
कैसे टूटी जय-बीरू की ये जोड़ी:ये जानना सभी के लिए दिलचस्प होगा कि कभी हरीश-रणजीत की जोड़ी उत्तराखंड में जय-बीरू की जोड़ी कहलाती थी. इनकी दोस्ती के चर्चे होते थे, लेकिन कुछ सालों में ऐसी खटास आई कि आज एक सीट पर दोनों के बीच इस तरह सिर फुटव्वल हो रही है.
दरअसल, 2014 में जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब हारे हुए विधायक होने के बाद भी रणजीत रावत की तूती बोलती थी. वो सरकार के सबसे ताकतवर हस्ती थे. सरकार की तमाम व्यवस्थाएं देखा करते थे. यहां तक कि वो सरकार में अघोषित डिप्टी सीएम माने जाते थे. रणजीत की बातों की इतनी अहमियत थी कि हरीश रावत के शपथ ग्रहण के दिन ही रणजीत ने एक चर्चित आईपीएस अफसर को हटाने की बात कही थी और चंद घंटे बाद ही वो आईपीएस हटा दिए गए थे.
कैसे शुरू हुई दरार: दोनों नेताओं के रिश्तों में दरार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई और पिछले साल जुलाई में यूथ कांग्रेस के चुनाव के बाद यह दरार और बढ़ गई. चर्चाएं ये हैं कि चुनाव से संबंधित किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस के बाद स्थितियां तल्ख हो गईं. खबरें हैं कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने दोनों के बीच दरारें पैदा कर दीं.