नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने के कैबिनेट फैसले के बाद अब नैनीताल हाईकोर्ट के वकीलों में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल बना हुआ है. वहीं, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. जबकि हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य आंदोलनकारी एमसी पंत ने कहा कैबिनेट का यह फैसला संसद के यूपी रेगुलेशन एक्ट के विपरीत है. जिसे अमेंडमेंट करना राज्य सरकार के अधिकार से बाहर है. सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी और अग्रिम रणनीति तैयार की जाएगी.
वहीं, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ललित बेलवाल का कहना है कि नैनीताल से हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की लंबे समय से कवायद चल रही थी, सरकार का फैसला एकदम सही है. नैनीताल में स्थान की कमी के चलते ना तो अधिवक्ताओं को चेंबर मिल पा रहे थे और ना ही अन्य सुविधाएं. पर्यटन सीजन के दौरान शहर में लगने वाले जाम और पार्किंग की सुविधा न होने से अधिवक्ता और वाद कार्यों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लिहाजा अब हाईकोर्ट हल्द्वानी में बनेगा तो अधिवक्ताओं को कई सुविधाएं मिलेंगी.
वहीं, हाईकोर्ट अधिवक्ता नलिन भट्ट ने कहा सरकार राज्य की स्थायी राजधानी के मामले का कोई फैसला नहीं ले पा रही है. वहीं, अब नैनीताल में बने हाईकोर्ट को मैदान में शिफ्ट कर रही है. जिससे आने वाले समय में पलायन बढ़ेगा. राज्य सरकार पलायन रोकने के बजाय और बढ़ा रही है. लिहाजा सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. अगर सरकार इस मामले पर पुनर्विचार नहीं करती तो इस मुद्दे को आंदोलन बनाया जाएगा.
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