हल्द्वानी: कोविड-19 के चलते राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 18 साल तक के जन्मजात बीमार बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. इनमें जन्म से हृदय में छेद, कटे हुए होंठ, आंखों की सर्जरी, नाक की सर्जरी आदि तरह के विकलांगता के मरीज शामिल हैं. कुमाऊं मंडल के करीब 150 ऐसे बच्चे हैं जिनको कोविड-19 के चलते इलाज नहीं मिल पाया है. सामान्य दिनों में इन बच्चों को ऋषिकेश एम्स जॉलीग्रांट या फोर्टिस अस्पताल भेजा जाता था लेकिन, अब कोविड-19 के कारण इनको इलाज नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, कार्यक्रम से जुड़े चिकित्स्कों का दावा है कि अगस्त से फिर से इलाज शुरू कर दिया गया था.
बता दें कि, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात बीमार बच्चों को नि:शुल्क इलाज दिया जाता है. इनके पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाती है. जिसमें आने-जाने के साथ-साथ परिवार का रहने का भी खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता है लेकिन, कोविड-19 के चलते इन मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है.
कोरोना के कारण जन्मजात बीमार बच्चों को नहीं मिल पा रहा इलाज - National Child Health Program Haldwani
कोरोना महामारी के कारण जन्मजात बीमार बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है. सामान्य दिनों में इन बच्चों का इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किया जाता था.
हल्द्वानी
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इस योजना के तहत अल्मोड़ा जिले के 9, नैनीताल के 36, बागेश्वर के 16, चंपावत के 14 और उधम सिंह नगर के 15 बच्चों का इलाज किया जाना है. स्वास्थ्य निदेशक कुमाऊं शैलजा भट्ट के मुताबिक, अति गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को इलाज के लिए हायर सेंटर भेजा गया था. साथ ही विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है और कुछ बच्चों का इलाज किया जा चुका है.