उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

नैनी झील को खोखला कर रही कॉमन कार्प मछली! रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे

पंतनगर विश्वविद्यालय के साथ हुए एक अध्ययन में पता चला है की झील में पाई जाने वाली कॉमन कार्प मछली नैनी झील के सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो गई है. नैनीताल जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि नैनी झील में मछलियां खाने की तलाश में झील के भीतर भूमि पर निबलिंग (खोदना) कर रही है, जो एक कारण शहर की मॉल रोड समेत पहाड़ियों पर हो रहे भू-कटाव का हो सकता है. जिस वजह से अब कॉमन कार्प मछलियों को झील से निकालने का काम भी किया जाएगा.

nainital
नैनीताल

By

Published : Aug 7, 2022, 10:38 AM IST

Updated : Aug 7, 2022, 10:51 AM IST

नैनीताल:पानी की रानी कहीं जाने वाली मछली इन दिनों नैनी झील के अस्तित्व के लिए खतरा बनी हुई है. पंतनगर विश्वविद्यालय के साथ हुए एक अध्ययन में पता चला है की झील में पाई जाने वाली कॉमन कार्प मछली नैनी झील के सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो चली है. कॉमन कार्प मछली भोजन की तलाश में निबलिंग कर झील की पहाड़ियों को खोदा जा रहा है, जिससे शहर की मॉल रोड समेत अन्य पहाड़ियों पर भूस्खलन की समस्या देखने को मिल रही है.

नैनीताल जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल (DM Dhiraj Singh Garbyal) ने बताया कि नैनी झील में करीब 60 फीसदी तक कॉमन कार्प मछलियां है, जो नैनी झील के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही हैं. ये मछलियां खाने की तलाश में झील के भीतर भूमि पर निबलिंग (खोदना) कर रही है, जो एक कारण शहर की मॉल रोड समेत पहाड़ियों पर हो रहे भू कटाव का हो सकता है. जिस वजह से अब कॉमन कार्प मछलियों को झील से निकालने का काम भी किया जाएगा.

नैनी झील को खोखला कर रही कॉमन कार्प मछली.

उन्होंने बताया कि नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जाएगा. साथ ही झील समेत मॉल रोड की पहाड़ी में हो रहे भू-धसाव पर रोक लग सकेगी. वहीं मामले में शीत जल मत्स्य अनुसंधान केंद्र के निदेशक पीके पांडे बताते हैं कॉमन कार्प मछली नैनी झील के अस्तित्व के लिए खतरा हैं. जो खाने की तलाश में भूमि को खोदती है, लिहाजा कॉमन कार का मछली को झील से निकालकर अब झील में महाशीर मछली को डाला जाएगा. ताकि झील के इकोसिस्टम को सुरक्षित रखा जा सके.

जिलाधिकारी बताते हैं जब पूर्व में नैनी झील के भीतर ऑक्सीजन लेवल समाप्त हो गया और झील का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से बिगड़ गया, तो नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को ठीक करने के लिए झील विकास प्राधिकरण द्वारा लेक एरिएशन शुरू किया गया. ताकि झील के अस्तित्व को बचाया जा सके.

इसी दौरान साल 2008 में नैनी झील से कॉमन कार्प मछलियों को निकालने का काम ही शुरू किया गया. कुछ दिन अभियान चलने के बाद झील से मछली निकालने का काम बंद कर दिया गया. धीरे-धीरे झील में कॉमन कार्प की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. अब नैनी झील में करीब 60 फीसदी तक कॉमन कार्प मछलियां हैं, जो नैनी झील के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में बने 6 हजार से ज्यादा लैंडस्लाइड जोन, सेंसर लगाने की तैयारी

आपको बताते चलें कि कॉमन कार्प मछली मूल रूप से श्रीलंका में पाई जाने वाली मछली की प्रजाति है, जो कई वर्ष पूर्व नैनी झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नियंत्रण करने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा नैनी झील में डाली गई थी. लेकिन कॉमन कार्प नैनी झील के संरक्षण व संवर्धन के लिए उपयुक्त साबित नहीं हुई, जिस वजह से इस मछली की झील में उपलब्धता के चलते झील और शहर के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने लगा है. जिसको देखते हुए अब कॉमन कार्प प्रजाति की मछली को झील से निकालने पर मंथन किया जा रहा है.

झील में आखिर क्यों होती है मछलियों की आवश्यकता:मत्स्य विभाग के निदेशक पीके पांडे बताते हैं कि किसी भी झील में मछलियों की उपलब्धता बेहद आवश्यक है, क्योंकि झील के पारिस्थितिकी की तंत्र को मछलियां नियंत्रित करती हैं. जो झील में पौधे, शैवाल और बाकी अन्य मछलियों का संतुलित तादाद में होना बेहद जरूरी है. हालांकि, यह देखा जा रहा है कि बीते कुछ महीनों से झील में पाई जाने वाली कॉमन कार्प मछली की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. यह मछली दूसरी प्रजाति की मछलियों को निवाला बना रही है.

कैसे खतरनाक है कॉमन कार्प मछली:जानकारों के मुताबिक कभी झील में भोजन या ऑक्सीजन का स्तर कम हो कॉमन कार्प झील की मिट्टी और मुलायम पत्थरों खाना शुरू कर देती है. ऐसे में झील को आंतरिक खतरा पैदा हो सकता है. हालांकि, यह शोध का विषय है कि कॉमन कार्प नैनीताल झील में कितनी संख्या में ब्रीडिंग कर रही हैं.

Last Updated : Aug 7, 2022, 10:51 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details