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4 महीने में ही दम तोड़ती दिख रही मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना - aatmnirbhar Uttarakhand

उत्तराखंड सरकार ने अक्टूबर माह में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की शुरुआत की थी. लेकिन 4 महीनों में नैनीताल जनपद में मात्र 21 लोगों ने ही सौर ऊर्जा स्वरोजगार के तहत आवेदन किए.

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना
मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना

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Published : Feb 13, 2021, 4:15 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 5:22 PM IST

हल्द्वानी: आत्मनिर्भर उत्तराखंड के तहत सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा शुरू की गई, महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. कोरोना संकट में लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार ने अक्टूबर माह में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की शुरुआत की थी. लेकिन 4 महीने में नैनीताल जनपद में मात्र 21 लोगों ने ही सौर ऊर्जा स्वरोजगार के तहत आवेदन किए. वहीं, योजना शुरू होने के 4 महीनों बाद भी अब तक एक भी यूनिट स्थापित नहीं हो पाई है. ऐसे में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना अब धीरे-धीरे दम तोड़ रही है. फिलहाल विभागीय अधिकारी तकनीकी दिक्कत बता कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की शुरुआत पहाड़ों से पलायन रोकने के उदेश्य से की गई थी, ताकि सौर ऊर्जा के माध्यम से युवा स्वरोजगार प्राप्त कर सकें. इस योजना के तहत बेरोजगार युवा 20 और 25 किलो वाट के सौर ऊर्जा का संयंत्र लगा विद्युत विभाग को बिजली बेच सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं. लेकिन 4 महीने बाद भी योजना धरातल पर नहीं दिख रही है.

बात नैनीताल जनपद की करें तो नवंबर से अभी तक उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) और विद्युत विभाग के पास मात्र 21 आवेदन पहुंचे हैं, जिसके तहत 18 आवेदनों की तकनीकी जांच की गई, 6 आवेदन निरस्त किए गए. जबकि 4 आवेदनों को ऋण के लिए अनुमोदित किया गया है. वहीं, 4 महीनों के बाद भी एक भी यूनिट स्थापित नहीं होना, सरकारी मशीनरी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. यही नहीं एक भी यूनिट और विद्युत विभाग के बीच विद्युत खरीद सहमति पत्र का अनुबंध तक नहीं हो पाया है. ऐसे में मुख्यमंत्री की बेरोजगार युवाओं के लिए चलाई जा रही सौर स्वरोजगार योजना दम तोड़ रही है.

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विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता तरुण कुमार का कहना है कि योजना के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके अलावा जो भी आवेदन आ रहे हैं. उसकी तकनीकी जांच की जा रही है. तकनीकी जांच के उपरांत ही ऋण के लिए अनुमोदित किया जा रहा है. अभी तक विभाग के पास कोई भी यूनिट की सहमति पत्र विभाग द्वारा नहीं की गई है.

उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी संदीप भट्ट ने बताया कि अधिकतर आयोजनों में तकनीकी दिक्कत सामने आ रही हैं. उन्होंने बताया कि 20 किलोवाट के संयंत्र लगाने के लिए 25 केवी के ट्रांसफार्मर जोड़े जाने हैं. जबकि 25 किलोवाट के लिए 63 केवी के ट्रांसफार्मर से यूनिट को जोड़ा जाना है. पर्वतीय क्षेत्रों के लिए यूनिट और ट्रांसफार्मर की दूरी अधिकतम 300 मीटर, जबकि मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम दूरी 100 मीटर रखी गई है. जिसके चलते अधिकतर आवेदन निरस्त हो रहे हैं. ट्रांसफार्मर और यूनिट की दूरी विभाग के लिए चुनौती बन रही है.

Last Updated : Feb 13, 2021, 5:22 PM IST

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