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वन्यजीवों को आसरा दे रहे चंद्रसेन कश्यप, जानिए पूरी कहानी

रामनगर के वन्यजीव प्रेमी चंद्रसेन कश्यप इन दिनों बंदर के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पाल रहे हैं. दरअसल, मादा बंदर की सड़क हादसे में मौत हो गई है. ऐसे में वन विभाग ने बंदर के बच्चे को चंद्रसेन कश्यप की देखरेख में रखा है. जब यह बच्चा बड़ा हो जाएगा, तो उसको जंगल में छोड़ दिया जाएगा.

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रामनगर

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Published : Mar 25, 2022, 12:35 PM IST

Updated : Mar 25, 2022, 6:57 PM IST

रामनगर:रामनगर के मोहल्ला बंबाघेर निवासी चंद्रसेन कश्यप और उनके परिवार को सांपों का दोस्त कहा जाता है, लेकिन इन दिनों कश्यप परिवार एक बंदर के बच्चे को अपने बेटे की तरह पाल रहे हैं. दरअसल, रामनगर से 12 किलोमीटर दूर वन विभाग के ढिकुली क्षेत्र में रोड एक्सीडेंट में एक 8 से 10 दिन के बंदर के बच्चे की मां की मौत हो गई. बच्चा अपनी मां के पास ही रोने लगा. इस दुर्घटना में बंदर के बच्चे को भी हल्की चोट आई थीं.

आसपास के लोगों ने इसकी सूचना रामनगर वन प्रभाग के अधिकारी वीरेंद्र पांडे को दी, जिसके बाद वन विभाग की टीम बंदर के बच्चे को वहां से रेस्क्यू कर उपचार के लिए पशु चिकित्सक के पास ले गई और उसका उपचार किया गया. इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने बंदर के बच्चे को वन्य जीव प्रेमी चंद्रसेन कश्यप को देखरेख के लिए सौंप दिया. अब कश्यप परिवार इस बच्चे को अपने बच्चे की तरह पाल रहा है.

वन्यजीवों को आसरा दे रहे चंद्रसेन कश्यप.

चंद्रसेन कश्यप ने बताया कि वन विभाग ने बंदर के बच्चे को उनकी देखरेख में रखा है. उनका परिवार बंदर के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पाल रहा है. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने बच्चे के बड़े होने तक की जिम्मेदारी उनको सौंपी है.
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वहीं, वन अधिकारी वीरेंद्र पांडे ने बताया कि यह घटना हाल ही की है, जब सड़क दुर्घटना में इस बंदर के बच्चे की मां की मौत हो गई थी. वहीं, वन विभाग की मॉनिटरिंग में कश्यप परिवार इस बच्चे को पाल रहा है. जैसे ही यह बड़ा होगा इसको जंगल में छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कश्यप परिवार हमेशा से ही वन विभाग की मदद करता है.

सेव द स्नेक एंड वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी:सांपों के संरक्षण और उनको बचाने के लिए चंद्रसेन कश्यप ने सेव द स्नेक एंड वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी (Save the Snake and Wild Life Welfare Society) का गठन किया गया है. इस सोसायटी के गठन का मुख्य उद्देश्य सांपों को संरक्षित करना है. चंद्रसेन कश्यप कहते हैं कि सांपों को मारने से बेहतर है कि उनको पकड़कर जंगल में छोड़ दिया जाए, इसी उद्देश्य को लेकर इस संस्था का गठन किया गया है.

वन विभाग के कर्मचारी भी लेते हैं मदद:चंद्रसेन कश्यप के इस कार्य में रामनगर वन विभाग, कॉर्बेट प्रशासन और तराई पश्चिमी वन प्रभाग की टीम भी इनकी मदद लेती है. सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी यह जानकारी करने के लिए कश्यप को बुलाते हैं कि मरीज को कितने जहरीले सांप ने काटा है. चंद्रसेन स्वयं भी सांप के काटे का इलाज करते हैं. वह अब तक कई लोगों की जान बचा चुके हैं.

Last Updated : Mar 25, 2022, 6:57 PM IST

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