हल्द्वानी: पहाड़ के जंगलों के लिए भीषण दावानल का कारण बनने वाली पिरूल के पत्ते वहां के लोगों के लिए अब आर्थिकी मजबूती बनने जा रही है. कुमाऊं मंडल की एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी पेपर मिल अब पहाड़ के जंगलों में पड़े पिरूल घास को खरीदने जा रही है. जिससे कि पहाड़ के रहने वाले गांव के लोगों को रोजगार के साथ-साथ जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोका जा सके. सेंचुरी पेपर मिल पिरूल के पत्तों को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करेगी. जिससे कि बिजली का उत्पादन हो सकेगा. पहले चरण में सेंचुरी पेपर मिल इस कार्य योजना की शुरुआत नैनीताल जनपद से करने जा रहे हैं. जिसके तहत 50 लाख रुपये इन्वेस्ट करेगी.
सेंचुरी पेपर मिल के सीईओ जेपी नारायण ने बताया कि मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना के तहत सामाजिक दायित्व को देखते हुए पहाड़ की महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वरोजगार से जोड़ते हुए वहां के जंगलों से पिरूल के पत्तों को खरीदने के काम शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत पहाड़ के ग्रामीण इलाकों के जंगलों से महिलाएं पिरूल को पत्ते को इकट्ठा कर सेंचुरी पेपर मिल को बेच सकती हैं. जिसके एवज में उनको ₹2 से लेकर ₹3 प्रति किलो दाम उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहले चरण में इसकी शुरुआत नैनीताल जनपद से की जा रही हैं. पेपर मिल टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से गांव-गांव से पिरूल के पत्तियों को उठाने का काम करेगा.
उन्होंने बताया कि पिरूल के पत्तों को सेंचुरी पेपर मिल के बायलर में ईंधन के तौर पर प्रयोग कर बिजली का उत्पादन किया जाएगा. जिससे कि बिजली की बचत के साथ-साथ पहाड़ के लोगों को स्वरोजगार के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि पिरूल के माध्यम से अर्जित की गई आय को वही के लोगों के विकास में खर्च किया जाएगा. जिससे कि पहाड़ के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.