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पहाड़ के युवा ऐसे बनाएं करियर और डिप्रेशन से बचें, काउंसलर वैभव पांडे से जानिए

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Published : Dec 24, 2021, 7:13 AM IST

उत्तराखंड में लगातार बढ़ती बेरोजगारी युवाओं के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है. बेरोजगारी बढ़ने से पहाड़ के युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं. पहाड़ के युवा नौकरी के लिए लगातार पलायन कर रहे हैं. जाने-माने करियर काउंसलर वैभव पांडे से जानें करियर बनाने और अवसाद (Depression) से बचने के क्या हैं उपाय...

career counselor vaibhav pandey
डिप्रेशन से बचें

हल्द्वानी:पहाड़ के युवा अपने करियर के प्रति चिंतित हैं. लेकिन रोजगार नहीं मिलने के कारण वो अवसाद यानी डिप्रेशन का शिकार हो रहा है. यही कारण है कि पहाड़ का युवा वर्ग धीरे-धीरे अब नशे के गर्त में भी जा रहा है. लगातार बढ़ रही बेरोजगारी युवाओं के लिए चिंता का विषय बनती जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने युवाओं को करियर बनाने और अवसाद से बचने के लिए जाने-माने करियर काउंसलर वैभव पांडे से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पहाड़ के युवाओं के प्रति चिंता जाहिर की करते हुए कहा कि युवाओं को अपना करियर बनाने के लिए सबसे पहले बेहतर शिक्षा की जरूरत है.

तकनीकी और रोजगारपरक शिक्षा जरूरी: करियर काउंसलर वैभव पांडे ने कहा कि युवा वर्ग को इस समय तकनीकी शिक्षा और रोजगार परक शिक्षा ग्रहण करने की जरूरत है. इससे पहाड़ के युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और दूसरों को रोजगार देने वाले बन सकेंगे. आज का युवा वर्ग सोचता है कि उसकी नौकरी नहीं लग रही है. इसका मुख्य कारण है कि पहाड़ के युवाओं में स्किल डेवलपमेंट नहीं है. ऐसे में पहाड़ के युवाओं को स्किल डेवलपमेंट से जुड़ने की जरूरत है, जिसके माध्यम से वह गुणवान बनें और अपने पैरों पर खड़े हो सकें.

पहाड़ के युवा डिप्रेशन से बचें और ऐसे बनाए करियर

बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य जरूरी: इसके अलावा पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने के लिए सबसे पहले पहाड़ पर बेहतर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि पहाड़ पर ऐसे कई ऐसे रोजगार के साधन हैं, जिससे युवा अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. बस करने का जज्बा होना चाहिए. युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए माता-पिता का भी अहम रोल होता है. माता-पिता अपने बच्चों को करियर बनाने के लिए क्षमता के अनुसार धनराशि खर्च कर उसको स्वरोजगार से जोड़ें, जिससे कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके. इसके अलावा सरकार द्वारा सब्सिडी और बैंक के माध्यम से लोन लेकर भी माता-पिता अपने बच्चों को स्वरोजगार की ओर बढ़ावा दे सकते हैं.

वोकल फॉर लोकल: उन्होंने कहा कि हमें वोकल फॉर लोकल के आधार पर युवाओं को आगे लाने की जरूरत है. युवा वोकल फॉर लोकल को अपना स्वरोजगार चुनकर आगे बढ़ सकते हैं. बस इसको बढ़ावा देने के लिए पैकेजिंग बेहतर होने की जरूरत है, जिससे कि उत्तराखंड की लोकल मार्केट की पहचान दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में हो सके, क्योंकि इस समय बेहतर पैकेजिंग का जमाना है. जिसकी बेहतर पैकेजिंग और प्रचार होता है, वह मार्केट में सबसे आगे रहता है. इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से युवा अपने स्थानीय उत्पादन की मार्केटिंग कर अपने रोजगार का साधन बना सकते हैं, जिससे कि उनकी आमदनी के साथ-साथ उत्तराखंड के उत्पाद की पहचान भी हो सके.

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पहाड़ का युवा पढ़ना तो चाहता है, लेकिन उसको पढ़ाई के अच्छे मौके नहीं मिलते हैं. ऐसे में पहाड़ के बच्चों को चाहिए कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का एक्जाम डीयू जैट (ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट) होता है, जिसे पहाड़ के युवा ट्राई कर अपना भविष्य बना सकते हैं. क्योंकि यहां पर एडमिशन लेने वाले युवाओं को फीस नहीं देनी पड़ती है. अगर कोई मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहता है, तो वह 12वीं के बाद आईपीएम का एग्जाम दे सकते हैं, जिसके बाद देश के टॉप 10 स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं. अगर आपका इन कॉलेजों में एडमिशन होता है, तो बैंक भी आसानी से लोन देता है. ऐसे में युवाओं को चाहिए कि वह कक्षा 10 तक अपनी गणित को बेहतर कर और अंग्रेजी बोलने में एक्सपर्ट बनें.

डिप्रेशन से बचने के उपाय:आज की युवा पीढ़ी डिप्रेशन में आकर नशे की ओर बढ़ रही है. वैभव पांडे ने बताया कि युवा पीढ़ी मोबाइल कम से कम प्रयोग करे. मोबाइल अवसाद का सबसे बड़ा कारण है. एक से डेढ़ घंटे से अधिक मोबाइल का प्रयोग ना करें. खाली समय में परिवार के साथ समय बिताएं. इसके अलावा अवसाद का मुख्य कारण हार है. कई बार लोग अपनी हार नहीं पचा पाते हैं, जबकि हार सफलता की ओर ले जाती है. ऐसे में आदमी को धैर्य से काम करने की जरूरत है. हार से नहीं घबराएं और आगे बढ़ते रहें.

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