उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Dholak basti of haldwani: मद्धिम पड़ी हल्द्वानी के ढोलक बस्ती की थाप, डिजिटल धुन ने ले ली जगह

उत्तराखंड में कोई मांगलिक कार्य हो, शादी हो या फिर कोई त्यौहार सभी में ढोलक की थाप सुनाई देती है. लेकिन अब बदलते दौर में धीरे-धीरे ढोलक की थाप कम हो रही है. बदलते दौर में पुराने रीति-रिवाज और परंपराओं का मूल स्वरूप बदल रहा है. अब यह ज्यादातर आधुनिक तरीकों और डिजिटल प्लेटफाॅर्म के माध्यम से प्रदर्शित किये जाते हैं.

Dholak basti of haldwani
Dholak basti of haldwani

By

Published : Mar 3, 2023, 2:14 PM IST

Updated : Mar 3, 2023, 2:30 PM IST

मद्धिम पड़ी हल्द्वानी के ढोलक बस्ती की थाप

हल्द्वानी:नैनीताल जिले की ढोलक बस्ती में होली के अवसर पर ढोलक के जरिये त्यौहार मनाने की परंपरा रही है. लेकिन आज के बदलते दौर में आधुनिक माध्यमों के जरिये इस परंपरा ने अपने मूल स्वरूप को बदल लिया है. डिजिटल धुन ने ढोलक की थाप का स्थान ले लिया है.

लुप्त हो रही है परंपरा: होली का त्यौहार आते ही कभी ढोलक मंजीरों पर चारों ओर फाग गीत गुंजायमान होने लगते थे, लेकिन आधुनिकता के दौर में आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों की यह परंपरा लुप्त सी हो गई है. एक दशक पूर्व तक माघ महीने से ही गांव में फागुनी आहट दिखने लगती थी. ढोल मंजीरे की धुन पर लोग होली के गीत गाते थे. अब धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म हो रही है. इन पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोलक को बनाने वाले अब इस काम से भी मुंह मोड़ रहे हैं.

ढोलक कलाकारों की आजीविका संकट में:कुमाऊं की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली हल्द्वानी की ढोलक बस्ती की ढोलक की पहचान उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक के अलावा कई राज्यों में हुआ करती थी. अब धीरे-धीरे ढोलक की थाप कम हो रही है. होली के समय कभी ढोलक बस्ती के लोग ढोलक का कारोबार कर अपनी आजीविका चलाते थे. अब ढोलक का कारोबार करने वालों के सामने रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है.

डिजिटल प्लेटफाॅर्म ने छीनी असली कला: हल्द्वानी की ढोलक बस्ती में रहने वाले करीब 2000 परिवार पिछले कई दशकों से ढोलक बनाने का काम करते आ रहे हैं. ढोलक बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि ढोलक बनाते उनकी कई पीढ़ियां बीत गईं, लेकिन अब डिजिटल जमाने में इन ढोलक बनाने वाले लोगों की कला को कोई नहीं पूछ रहा है. युवा वर्ग त्यौहार में ढोल बजाने के बजाय डिजिटल साउंड बजा रहे हैं. ऐसे में ढोलक की बिक्री धीरे-धीरे खत्म हो रही है.
Kumaon Folk Culture: पेंटिंग के जरिए कुमाऊं की संस्कृति को संवारने की कवायद, आप भी कहेंगे वाह!

ढोलक बनाने वाले कारीगर अब्दुल कलाम का कहना है कि हल्द्वानी के ढोलक बस्ती की ढोलक की पहचान पूरे देश में की जाती है. खासकर होली के मौके पर यहां के ढोलक बनाने वाले लोग अपनी ढोलक बनाकर बेचने कई राज्यों में जाते हैं. पहले रस्सी की डोर वाली ढोलक की सबसे ज्यादा डिमांड हुआ करती थी लेकिन अब बदलते दौर में नट बोल्ट नाल वाली ढोलकी की मांग ज्यादा है.

Last Updated : Mar 3, 2023, 2:30 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details