रामनगर: कहते हैं कि दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं. अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा और हौसला हो तो इंसान पहाड़ का भी सीना चीर सकता है. ऐसा ही हौसला रामनगर की 19 वर्षीय भारती में है, जिन्होंने एक हादसे में अपने दोनों हाथों को गंवा देने के बाद भी हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी को एक नया रंग दे दिया.
दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि हमें कभी अपनी समस्याओं को अपने से बड़ा नहीं मानना चाहिए. बारिश के दौरान पक्षी अपने आश्रय की तलाश करते हैं, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उड़कर बारिश को ही नजरंदाज कर देते हैं. रामनगर की 19 वर्षीय भारती भी इस हौसले के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ रही हैं.
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रामनगर के चैनपुरी गांव की रहने वाली भारती ने सात साल पहले एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा देने के बाद अपनी कोहनियों को ही अपनी हथेली और उंगलियों में तब्दील कर दिया. कठिन परिस्थितियों में भी भारती ने हिम्मत नहीं हारी और साबित कर दिया कि हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा.