हल्द्वानी: कुमाऊं में होली चरम पर है. जगह जगह खड़ी और बैठकी होली का आयोजन भी हो रहा है. होली के रंग से पहले कुमाऊं में चीर बंधन की परंपरा है. माना जाता है कि चीर बंधन होली भगवान के लिए समर्पित है. उस दिन चीर बंधन यानी ध्वजा स्थापना के साथ रंग की होली का शुभारंभ हो जाता है. चीर बंधन के दिन खासकर मंदिरों में होली गाने की परंपरा है. उस दिन मंदिरों में होली गाने के साथ भगवान शिव, भगवान कृष्ण सहित अन्य देवी-देवताओं और अपने इष्ट देवता के नाम होली गाने की परंपरा है.
2 मार्च को है चीर बंधन: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार 2 मार्च को एकादशी है. इस दिन भद्रा रहित काल में चीर बंधन होली मनाई जाएगी. इस दिन मंदिरों में पूजन के साथ रंग धारण की परंपरा है. आंवला एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. ज्योतिष के अनुसार सूर्यास्त से पहले चीर बंधन की परंपरा है.
ये है चीर बंधन का शुभ मुहूर्त: 2 मार्च को सूर्योदय से दोपहर करीब 2:00 बजे तक चीर बंधन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. मंदिरों में ध्वज स्थापना स्थापना और रंग बिरंगे कपड़े के टुकड़े बांधने की परंपरा भी है, जहां से रंग की होली का शुभारंभ होगा. चीर बंधन की तैयारी के साथ ही पहाड़ में अब खड़ी होली की भी शुरूआत हो गई है. लोग अबीर-गुलाल के साथ ही रंग व वस्त्र खरीदने बाजार पहुंचने लगे हैं.