नैनीतालःजोशीमठ में भू धंसाव और दरार की समस्या विकराल हो गई है. जिसने सबके माथे पर शिकन डाल दिया है. इसके इतर जोशीमठ जैसे हालात सरोवर नगरी नैनीताल में देखने को मिल रहा है. यहां नैनीताल के चारों तरफ की पहाड़ियों में लंबे समय से भूस्खलन हो रहा है. जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर बड़ा संकट मंडरा रहा है. 80 के दशक से नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले बलिया नाला में भयानक भूस्खलन हो रहा है. बलिया नाला और हरी नगर क्षेत्र में अब तक करीब 100 मीटर से ज्यादा का क्षेत्रफल भूस्खलन की भेंट चढ़ चुका है.
नैनीताल के बलिया नाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने (Nainital Ballia Nala landslide) के लिए राज्य सरकार बरसों से कार्य योजना बना रही है. जो आज तक धरातल पर नहीं उतर सकी है. यही कारण है कि हर साल बरसात के दौरान क्षेत्र में भू-धंसाव और भूस्खलन देखने को मिलता है. हालांकि, अब राज्य सरकार क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए गंभीर नजर आ रही है. लिहाजा, बलिया नाला क्षेत्र के ट्रीटमेंट के लिए 200 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गई है, ताकि जल्द से जल्द भूस्खलन को रोका जा सके.
बलिया नाला के अलावा शहर की मॉल रोड पर भी जगह-जगह दरारें पड़ने लगी है. साल 2018 में मॉल रोड का करीब 25 मीटर हिस्सा नैनी झील में समा गया था. जबकि, तल्लीताल से लेकर मल्लीताल क्षेत्र तक कई जगहों पर लंबी-लंबी दरारें पड़ रही हैं. जिससे शहर की माल रोड के अस्तित्व पर भी खतरा नजर आ रहा है. माल रोड के अलावा नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी कही जाने वाली नैनी पीक की पहाड़ियों पर भी लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology Dehradun) की ओर कई बार अध्ययन किया जा चुका है. जो रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं.