कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और महत्व हल्द्वानी: इस बार कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. लेकिन ज्योतिष के अनुसार कृष्ण जन्म उत्सव 7 सितंबर गुरुवार को मनाया जाएगा. जबकि गृहस्थ जीवन से ताल्लुक रखने वाले लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर बुधवार को रख सकेंगे. जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसे कृष्णाष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त:हिन्दू धर्म जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत महत्व रखता है. यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है. जन्माष्टमी का त्योहार देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है. इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रही है. इसका समापन अगले दिन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 15 मिनट पर होगा. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
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पर्व को लेकर धार्मिक मान्यताएं:मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर दिन बुधवार को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे. इसी दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा का अलग विधान है. इसलिए वैष्णव संप्रदाय में 7 सितंबर गुरुवार को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. मान्यता की जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्णा को बाल गोपाल की पूजा करने से लाभ के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जन्माष्टमी की रात भक्त जाग कर कृष्ण भगवान की विधि विधान से पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर बुधवार का दिन और मध्य रात्रि में ही रोहिणी नक्षत्र का अनुक्रम रहने से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है.
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जन्माष्टमी व्रत के नियम:जन्माष्टमी का व्रत रखने से एक दिन पहले सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके अपने हाथों में तुलसी की एक पत्ती पकड़कर व्रत का संकल्प कर लें. इस दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान करने के बाद उनको नए वस्त्र पहनाए और मंदिर को साफ सफाई के साथ फूल मालाओं से सजाए. जन्माष्टमी पर कई लोग निराहार व्रत रखते हैं.इसलिए व्रत का परायण कर कान्हा को भोग में अर्पित की पंजीरी और माखन से करें. शास्त्रों के अनुसार बाल गोपाल के प्रसाद से व्रत का परायण करने पर सारे मनोरथ पूरे होते हैं.