हल्द्वानी: उत्तराखंड में 189 अटल उत्कृष्ट स्कूलों के इस वर्ष की सीबीएसई परीक्षा के रिजल्ट निराशाजनक रहा. इन स्कूलों का रिजल्ट करीब 50% ठीक रहा, लेकिन आधे से अधिक बच्चे हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में फेल हो गए हैं. ऐसे में अब इन बच्चों के सामने फिर से एडमिशन का संकट खड़ा हो गया है. फेल हो चुके छात्रों के फिर से एडमिशन लेने में सीबीएसई बोर्ड रूल आड़े आ रहा है. ऐसे में छात्रों को फिर से एडमिशन नहीं मिलने पर छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी परेशान हैं.
अटल आदर्श विद्यालय के अनुतीर्ण बच्चों को सता रही भविष्य की चिंता, प्रवेश को लेकर ये बोले शिक्षा मंत्री - Atal Adarsh Vidyalaya
Atal Adarsh Vidyalaya उत्तराखंड इस बार अटल उत्कृष्ट स्कूलों में रिजल्ट कुछ खास नहीं रहा. जिस कारण कई बच्चे सीबीएसई परीक्षा में फेल हो गए. जिनको अब एडमिशन की चिंता सता रही है. वहीं शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का कहना है कि सभी अनुतीर्ण बच्चों को दोबारा एडमिशन दिलाया जाएगा.
बताया जा रहा है कि फेल हुए छात्रों को फिर से एडमिशन के लिए सीबीएसई बोर्ड से अनुमति लेनी होगी. जहां अनुमति मिलने पर प्रति छात्र को पांच हजार रुपए शुल्क के तौर पर जमा करने होंगे. जिसके बाद छात्र बोर्ड परीक्षा में बैठ सकते हैं. उत्तराखंड सरकार ने छात्रों के बेहतर पढ़ाई के लिए सीबीएसई पैटर्न के तहत प्रदेश के सभी ब्लॉक में दो अटल आदर्श उत्कृष्ट विद्यालय खोले हैं. लेकिन इस परीक्षा सत्र में सीबीएसई बोर्ड के तहत आए रिजल्ट निराशाजनक रहा. जहां करीब 50% बच्चे ही पास हो पाए, ऐसे में अनुत्तीर्ण हो चुके छात्रों को अब एडमिशन नहीं मिल पा रहा है. स्कूल प्रबंधक एडमिशन नहीं मिलेगा कारण सीबीएसई बोर्ड रूल का हवाला दे रहा है.
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पिछले सत्र में हाईस्कूल के 8499 छात्रों में से केवल 5141 बच्चे ही पास हो पाए. जबकि इंटरमीडिएट के कुल 12534 छात्रों में से 6454 छात्र ही पास हो पाए है. अटल आदर्श विद्यालय के अनुतीर्ण छात्र अब फिर से एडमिशन के लिए भटक रहे हैं. लेकिन उनको एडिशनल नहीं मिल पा रहा है.अटल आदर्श विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. जहां अभिभावक फिर से एडमिशन के लिए पांच हजार रुपए देने की स्थिति में अभिभावक नहीं हैं. ऐसे में अब फेल हो चुके हजारों बच्चों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. इस पूरे मामले में शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का कहना है कि जो भी बच्चे फेल हुए हैं, उनका एडमिशन फिर से करवाया जाएगा.अभिभावकों के ऊपर किसी तरह का कोई आर्थिक बोझ नहीं आने दिया जाएगा. इसको लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ जल्द बैठक कर छात्रों और अभिभावकों के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाएगा.