उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष की अष्टमी आज, जानिए श्राद्ध करने की विधि

Pitru Paksha 2023 पितृ पक्ष में अष्टमी और नवमी श्राद्ध का खास महत्व है. इस दिन पितरों की विधिवत पिंडदान और तर्पण से वे परिजनों को आशीर्वाद देते हैं. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने, दान व पुण्य और वस्त्र दान करने का भी खासा महत्व बताया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 6, 2023, 9:14 AM IST

Updated : Oct 6, 2023, 10:08 AM IST

पितृ पक्ष की अष्टमी पर ऐसे करें पिंडदान और तर्पण

हल्द्वानी:हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व है. पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष यानी श्राद्ध में पितर स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं. साथ ही श्राद्ध में पितरों की विधिवत पिंडदान और तर्पण से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है. वहीं 29 सितंबर से श्राद्ध शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक पितृ पक्ष का आज 6 अक्टूबर को आठवां दिन है. अष्टमी श्राद्ध में परिवार के उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर होती है. जिसे अष्टमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है. जबकि 7 अक्टूबर दिन शनिवार को मातृ नवमी का श्राद्ध व तर्पण किया जाएगा. पितृ पक्ष में मातृ नवमी तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन मृत सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि शुभ काम किए जाते हैं. मातृ नवमी श्राद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को किया जाता है. अष्टमी के श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराने का खास महत्व बताया गया. इस दिन पिंडदान कर तर्पण करने के बाद श्राद्ध कर्म करना करना चाहिये.
पढ़ें-नारायणी शिला: यहां श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मिलता है मोक्ष, पुराणों में है इस स्थान का जिक्र

इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र दान करने का भी विशेष महत्व होता है. मान्यता के अनुसार, अष्टमी पर श्राद्ध करने वाले श्राद्धकर्ता पर पितरों का आशीर्वाद मिलता है. श्राद्ध करने से परिवार में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.इस दिन पितृ मंत्र का जाप कर अपने पितरों से क्षमा याचना करना चाहिए. मातृ नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर को होगा. मान्यता है कि इस दिन दिवंगत माता, बहुओं और बेटियों का पिंडदान करते हैं. जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई है, इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं.इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है. इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
पढ़ें-पितृ पक्ष पर 30 साल बाद बन रहा खास योग, जानिए तिथि और महत्व

पितरों के फोटो के आगे उनके नाम से तिल के तेल का दीपक जलाएं. फिर एक तांबे के लोटे में जल डालकर और उसमें काला तिल मिलाकर पितरों का तर्पण करें. उनके नाम पर गरीब और असहयों को भोजन, वस्त्र, का दान करें साथी घर में ब्राह्मणों को भोजन कराए. घर का बना हुआ भोजन दक्षिण दिशा में ले जाकर पशु पक्षियों को खिलाएं.

Last Updated : Oct 6, 2023, 10:08 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details