काशीपुर: दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड के चुनाव से पहले पार्टी की ओर से एक मास्टर स्ट्रोक खेला है. काशीपुर रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने प्रदेशवासियों से बड़ा वादा करते हुए 6 नए जिले बनाने की घोषणा की है. केजरीवाल ने कहा कि 'प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर 6 माह के भीतर काशीपुर समेत 6 अन्य जिले बनाए जाएंगे'.
केजरीवाल ने कहा कि आप की सरकार बनने पर उत्तराखंड की 18 साल से ऊपर की हर महिला को हर महीने 1000 रुपए दिए जाएंगे. केजरीवाल ने ये भी घोषणा की है कि ये राशि विधवा पेंशन और अन्य सहायता राशि से अलग होगी.
अरविंद केजरीवाल का चुनावी मास्टर स्ट्रोक. ये भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल का ऐलान, उत्तराखंड में सरकार बनी तो 18 साल से ऊपर की हर महिला को मिलेंगे ₹1000
ये होंगे नए जिले:उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की जनता ने 10 साल भाजपा एवं 10 साल कांग्रेस को दिए हैं. इस बार उत्तराखंड की जनता आम आदमी पार्टी को मौका देती है तो आप पार्टी सरकार बनने के 6 माह भीतर अपने वादों को पूरा करेगी. उन्होंने प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर काशीपुर समेत रुड़की, कोटद्वार, डीडीहाट, रानीखेत, यमुनोत्री को नया जिला बना दिया जाएगा.
नए जिलों के गठन की मांग: उत्तराखंड में 13 जिले हैं. उत्तराखंड में नए जिलों के गठन की मांग के पीछे की मुख्य वजह यह है कि प्रदेश के 10 पर्वतीय जिलों में विकास और मूलभूत जरूरतों की अलग-अलग मांग रही है. इसे देखते हुए राज्य गठन के दौरान ही छोटी-छोटी इकाइयां बनाने की मांग की गई. जिससे ना सिर्फ प्रशासनिक ढांचा जन जन तक पहुंच सके, बल्कि प्रदेश के विकास की अवधारणा के सपने को भी साकार किया जा सके.
दरअसल सूबे में कोटद्वार सहित रानीखेत, प्रतापनगर, नरेंद्रनगर, चकराता, डीडीहाट, खटीमा, रुड़की और पुरोला ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें जिला बनाए जाने की मांग की जा रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कई सामाजिक संगठनों के साथ ही राजनीतिक दल भी इस आवाज को बुलंद करते रहे हैं.
निशंक के शासनकाल में नए जिलों की कवायत:साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 4 जिले बनाए जाने की घोषणा की थी. इसमें गढ़वाल मंडल में 2 जिले (कोटद्वार, यमुनोत्री) और कुमाऊं मंडल में 2 जिले (रानीखेत, डीडीहाट) बनाने की बात कही थी. लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पद से हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला.
यही नहीं, इसके बाद विजय बहुगुणा की सरकार ने इस मामले को अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग के हवाले कर दिया. साल 2016 में मुख्यमंत्री बदलने के बाद हरीश रावत सत्ता पर काबिज हुए और उन्होंने एक बार फिर 8 नए जिले बनाने की कवायत शुरू कर एक सियासी दांव खेला. नए 8 जिलों (डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, यमुनोत्री, रुड़की, ऋषिकेश) को बनाने का खाका भी तैयार कर लिया गया था.
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हरीश सरकार ने की थी बजट की व्यवस्था: कांग्रेस सरकार में पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी नए जिलों के गठन के लिए 2016 के बजट में 100 करोड़ की व्यवस्था करने की बात की थी. हालांकि इसके बाद कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक शुरू हुई और 4 जिलों की मांग फिर से ठंडे बस्ते में डाल दी गई. भाजपा सरकार के पिछले साढ़े 4 साल के कार्यकाल में भी कई बार स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतरकर आंदोलन किए.
इस बार फिर अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने नए जिलों की मांग पर एक नया दांव खेला है. हरीश रावत ने 4 जिलों कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट की जगह 9 जिले जिनमें नरेंद्र नगर, काशीपुर, गैरसैंण, वीरोंखाल, खटीमा भी जोड़ दिए हैं. जिससे एक बार फिर स्थानीय लोगों के मन में चुनावी साल में नए जिले को लेकर भावनाएं जगनी तय है.
एक जिले के निर्माण में 150 से 200 करोड़ के व्यय का आकलन: साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के शासनकाल में नए जिलों के गठन के लिए बनाए गए आयोग ने एक नए जिले के निर्माण में करीब 150 से 200 करोड़ रुपए के व्यय का आकलन किया था. यानी उस दौरान 4 नए जिले बनाने की बात चल रही थी. लिहाजा उस दौरान चार नए जिले बनाए जाते तो राज्य पर करीब 600 से 800 करोड़ तक का अतिरिक्त भार पड़ता.