उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

यूपी और उत्तराखंड के बीच नहीं सुलझा परिसंपत्तियों का विवाद, अजय भट्ट बोले- बातचीत में आई तेजी

कई मसले ऐसे हैं जिन पर दोनों प्रदेशों के विभागों के बीच सहमति नहीं हो पा रही है. माना जा रहा है कि इनमें भी निकट भविष्य में सकारात्मक हल निकलने की उम्मीद है.

फाइल फोटो

By

Published : Jul 16, 2019, 3:21 PM IST

हल्द्वानी: राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है. प्रदेश के कई विभाग ऐसे हैं जिनमें परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर अभी तक एक राय नहीं बन पाई है. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बने हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अभी भी संपत्तियों के बंटवारे का विवाद नहीं सुलझ पाया है. हालांकि इसमें कुछ तेजी जरुर आई है.

राज्य बनते समय उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बीच फंसे 8 जलाशय और 2,000 से अधिक आवासीय भवन, 173 शासकीय भवन सहित कई अन्य संपत्तियों का इन 18 सालों में बंटवारा नहीं हो पाया. लगभग 800 करोड़ की संपत्ति दोनों सरकारों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है.

यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्ति विवाद

पढ़ें- पहाड़ी टूटने से बेरीनाग-पिथौरागढ़ हाईवे पर आया मलबा, दोनों ओर फंसे सैकड़ों लोग

इस परिसंपत्ति विवाद में उधम सिंह नगर जिल के नानक सागर बांध, धोरा डैम, बनबसा डैम, भीमगोड़ा डैम, कालागढ़ स्थित रामगंगा बांध, हरिपुर जलाशय और बोर जलाशय शामिल हैं. परिसंपत्ति विवाद के अधिकत्तर मामले यूपी की सीमा से लगे जिले हरिद्वार, उधम सिंह नगर और पौड़ी के हैं.

बात दें कि इन सभी जलाशय और बांधों के पानी का पूरा फायदा उत्तर प्रदेश को मिल रहा है. उत्तराखंड के इन जलाशय और बांधों से यूपी के बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर सहित 8 जिलों को सिंचाई का पानी मिल रहा है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश इन संपत्तियों के बंटवारे से पीछे हटता रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड में डेंगू ने पसारे पैर, 6 पॉजिटिव मामले आए सामने

इस बारे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट के सांसद अजय भट्ट का कहना है कि वो इस विषय को सदन में उठाने वाले थे, लेकिन अब दोनों सरकारों ने परिसंपत्तियों के निपटारे के लिए तेजी दिखाना शुरू कर दी है.

अजय भट्ट का कहना है कि उत्तराखंड की सारी संपत्ति प्रदेश के हिस्से में जल्द आएगी. इस बारे दो बार मुख्यमंत्री स्तर पर दोनों प्रदेशों के मुखिया की बात हो चुकी है. एक वार्ता में वह स्वयं उपलब्ध रहे. जल्द ही दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद खत्म हो जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details