हल्द्वानी:कुमाऊं मंडल की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध (Jamrani Dam Construction) निर्माण की स्वीकृति पर केंद्र सरकार से जल्द मुहर लगने जा रही है. केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट (Union Minister of State for Defense Ajay Bhatt) ने कहा है कि जमरानी बांध परियोजना की फाइल लगभग पूरी हो चुकी है. कई दौर की बैठक होने के बाद अब आखिरी दौर की बैठक हो चुकी है, जिसके बाद वित्त मंत्रालय की मुहर जल्द लगने जा रही है.
अजय भट्ट ने दी खुशखबरी, जमरानी बांध परियोजना पर जल्द लगेगी वित्त मंत्रालय की आखिरी मुहर
कुमाऊं मंडल की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध (Jamrani Dam Construction) निर्माण की स्वीकृति पर केंद्र सरकार से जल्द मुहर लगने जा रही है. केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा है कि वित्त मंत्रालय से स्वीकृति और बजट मिलते ही धनराशि को बांध और नहर के निर्माण के साथ ही पुनर्वास कार्यों में भी खर्च किया जाएगा.
अजय भट्ट ने कहा है कि वित्त मंत्रालय (Indian Finance Ministry) से मंजूरी मिलते ही जल्द ही जमरानी बांध परियोजना पर काम शुरू होगा. सभी तरह की स्वीकृतियां बांध के निर्माण को लेकर मिल चुकी हैं, वित्त मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है. जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में 2584.10 करोड़ का खर्च आना है. इस पर वित्त मंत्रालय की ओर से अंतिम मुहर लगने का इंतजार है. बांध निर्माण में उत्तर प्रदेश सरकार 600 करोड़ रुपए का सहयोग भी करेगी. जमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की लाखों की आबादी को पानी मिलेगा. जमरानी बांध से नहरों के जरिये कुमाऊं मंडल (Kumaon Mandal) के तराई क्षेत्रों के अलावा यूपी के बरेली और रामपुर जिले तक पानी पहुंचना है.
अजय भट्ट ने कहा है कि वित्त मंत्रालय से स्वीकृति और बजट मिलते ही धनराशि को बांध और नहर के निर्माण के साथ ही पुनर्वास कार्यों में भी खर्च किया जाएगा. जमरानी बांध परियोजना से यूपी और उत्तराखंड की कुल 150,302 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी. इसमें उत्तराखंड की 34,720 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश की 115,582 हेक्टेयर भूमि शामिल है. उत्तरप्रदेश की सिंचाई के लिए 61 मिलियन क्यूसेक मीटर और उत्तराखंड की सिंचाई के लिए 38.6 मिलियन क्यूसेक मीटर पानी मिलेगा. परियोजना को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत 57,065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई के साथ-साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है. परियोजना से हर साल 63 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी.