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11 साल से खुद को जिंदा साबित करने को भटक रही 'बेचारी', रिश्तेदारों ने हड़पी संपत्ति सारी

हल्द्वानी के गोरापड़ाव हरिपुर तुलाराम गांव निवासी एक महिला अपने आप को जीवित साबित करने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है. विधवा भावना भट्ट ने अपने देवर और रिश्तेदारों पर आरोप लगाया है कि उन लोगों ने मिलकर उसको 2011 में मृत घोषित कर उसकी संपत्ति को कब्जा कर रखा है. खुद को जिंदा साबित करने के लिए वो कई सालों से दफ्तरों के चक्कर लगा रही है.

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Published : Sep 24, 2021, 1:02 PM IST

हल्द्वानी:कागज का मोल है, दुनिया बाकी गोल है. जी हां! कोई भी दस्तावेज महत्वपूर्ण होता है और फिर यह सरकारी हो तो कहने ही क्या. कागज पर चली सरकारी बाबू की कलम ही आपका अस्तित्व तय करती है. जीवन-मरण सब कुछ इन बाबुओं के नाम है. चौंकिये मत, सरोवरी नगरी नैनीताल में एक वृद्ध महिला खुद को जीवित साबित करने और अपने बच्चों को पाने के लिए दफ्तरों में बाबू साहबों के चक्कर काट रही हैं.

हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी के गोरापड़ाव हरिपुर तुलाराम गांव की रहने वाली विधवा भावना भट्ट की. भावना साल 2011 से अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र के लिए दफ्तरों की खाक छान रही है. इस वृद्ध महिला को अभीतक न्याय नहीं मिला है. आलम ये है कि इस महिला के पास सिर छिपाने के लिए खुद की छत तक नहीं है और वह रेलवे स्टेशन पर रहने को मजबूर है.

जिंदा हूं मैं

क्या है मामला:महिला का आरोप है कि उसके देवर और रिश्तेदारों ने उसको 2011 में मृत घोषित कर उसकी संपत्ति पर कब्जा कर रखा है. यहां तक कि उसके 24 वर्षीय बेटे को भी बहला-फुसलाकर अपने पास रखा है. उससे महिला को नहीं मिलने देते हैं.

महिला का कहना है कि वर्ष 2000 में उसके पति की मृत्यु होने के बाद उसके देवर और रिश्तेदारों ने घर से निकाल दिया था. जिससे वह कई साल तक इधर-उधर भटकती रही. यही नहीं उसके बच्चे को भी अपने पास रख लिया. उसके पति की संपत्ति पाने के लिए 25 जनवरी 2011 को उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनाते हुए कहा है कि वर्ष 2002 में उसकी मृत्यु हो गई है. जहां मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर उसकी मकान सहित अन्य संपत्ति को अपने नाम करवा लिया है.

महिला का आरोप है कि उसके जेवरात भी रिश्तेदारों ने अपने पास रख लिए. वहीं, पति की मृत्यु के दौरान उसको बीमा के पैसे भी मिले थे, जिसको उसने बैंक खाते में डाले थे लेकिन उस का मृत्यु प्रमाण-पत्र दिखाकर बैंक से भी उसका पैसा निकाल लिया. ऐसे में महिला न्याय के लिए इन दिनों डीएम कार्यालय से लेकर अन्य सरकारी दफ्तर में अपने आप को जीवित साबित करने की गुहार लगा रही है लेकिन अधिकारी केवल जांच की बात कर रहे हैं.

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वहीं, इस पूरे मामले में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि महिला के मृत्यु सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारी दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा एसडीएम को पूरे मामले की जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि पिछले कई सालों से न्याय के लिए महिला दर बदर भटक रही है. जबकि, अधिकारी और सामाजिक संस्था के जुड़े लोग इस महिला की मदद करने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं.

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