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सुशीला तिवारी अस्पताल में गलघोंटू से बच्ची की मौत

बागेश्वर जिले की रहने वाली 12 वर्षीय हर्षिता का हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज चल रहा था. गलघोंटू बीमारी से पीड़ित हर्षिता की मौत हो गई.

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गलघोंटू से बच्ची की मौत.

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Published : Oct 5, 2020, 10:55 AM IST

हल्द्वानी:सुशीला तिवारी अस्पताल में बागेश्वर के गरुड़ निवासी एक 12 वर्षीय बच्ची की गलघोंटू बीमारी से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि गरुड़ के सिमल खेत की रहने वाली हरीश सिंह नेगी की बेटी हर्षिता गलघोंटू बीमारी से पीड़ित थी. बागेश्वर में 8 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है.

बताया जा रहा है कि 12 वर्षीय हर्षिता की 1 अक्टूबर को तबीयत खराब होने पर परिवार वाले स्थानीय सीएचसी सेंटर बैजनाथ ले गए. बैजनाथ सीएचसी सेंटर से डॉक्टरों ने उसे बागेश्वर जिला चिकित्सालय भेज दिया था. वहां बीमारी ठीक नहीं होने पर डॉक्टरों ने अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय के लिए रेफर किया. अल्मोड़ा में डॉक्टरों ने बच्ची का टेस्ट कराया तो उसमें डिप्थीरिया बीमारी के लक्षण दिखाई दिए. जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी को रेफर कर दिया.

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शनिवार को परिजन बच्ची को हल्द्वानी लेकर आए. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में बच्ची का उपचार चल रहा था. लेकिन रविवार देर रात करीब 12:00 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया. गलघोंटू बीमारी से हुई मौत के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. इस बीमारी से बागेश्वर जनपद में आठवीं मौत हुई है.

खतरनाक है गलघोंटू

गलघोंटू एक खतरनाक बीमारी है. इसे डिप्थीरिया भी कहते हैं. वैसे तो ये बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन 2 साल से 12 साल तक के बच्चों में ज्यादा होती है. गलघोंटू जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है ये गले में होता है. गलघोंटू से नाक, आंख और स्वरतंत्र प्रभावित हो सकते हैं.

गलघोंटू के लक्षण

गलघोंटू में बुखार आता है. सिर, शरीर और गले में दर्द की शिकायत होती है. खाने या कुछ भी काम करने में अरुचि पैदा होती है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हृदय पर पड़ता है.

इस कारण होता है गलघोंटू

गलघोंटू कोराइन बैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु से होता है. बच्चों में रोग उनकी कुछ भी चीज मुंह में डाल लेने की आदत के कारण ज्यादा होता है. गलघोंटू के जीवाणु के कारण गले में झिल्ली बन जाती है. खांसने के दौरान एक व्यक्ति से ये दूसरे में फैल जाता है.

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