हल्द्वानी: आधुनिक दौर में भले ही लोग ऐशो-आराम का जीवन जीने में विश्वास रखते हो, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों की जिंदगी को संवारने के लिए जीवन खपा देते हैं. उनका सेवाभाव का कार्य दूसरों को लिए नजीर बन जाता है. ऐसे ही मानवता की मिसाल हैं हल्द्वानी निवासी 82 वर्षीय कांता विनायक दृष्टिहीनों को ज्योति देने का काम कर रही हैं. कांता अभी तक 74 दृष्टिहीनों का जीवन रोशन कर चुकी हैं.
हल्द्वानी शहर के भोटिया पड़ाव में रहने वाली कांता विनायक अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं. लेकिन आज भी उनके अंदर दृष्टिहीनों को रोशनी पहुंचाने का जज्बा भरपूर है और वो लोगों को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित कर रही हैं. पति के मौत के बाद कांता ने अपनी पूरी जिंदगी दृष्टिहीनों के जीवन में उजियारा करने के लिए समर्पित किया है. उनके इस मिशन में अन्य लोग भी उनका साथ निभाते हैं.
कांता विनायक का कहना है कि 2011 में उनके पति वीरेंद्र विनायक की बीमारी से मौत हो गई, ऐसे में उनको ख्याल आया कि अपने पति के नेत्र को दान कर किसी दूसरे की अंधकारमय जिंदगी को नया सवेरा दिया जाए और पति की याद भी जिंदा रहे.
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