नैनीताल: देश दुनिया में सैर-सपाटे के लिए मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल 180 साल का हो गया है. सरोवरी नगरी के जन्मदिन को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. भारत में नैनीताल को लेक डिस्ट्रिक्ट के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी खूबसूरती की दुनिया भर में मिसाल दी जाती है. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी खिंचे चले आते हैं. वहीं सरोवर नगरी का नैसर्गिक सौन्दर्य सैलानियों को रूमानी एहसास कराता है. यहां से लौटते वक्त सैलानी अपने साथ खूबसूरत यादों को ले जाते हैं.
नैनीताल को सरोवर नगरी यूं ही नहीं कहा जाता, 'नैनी' शब्द का अर्थ है आंखें और 'ताल' का अर्थ है झील. नैनीताल की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लाती है. अपनी खूबसूरती के कारण ही सरोवर नगरी साल भर सैलानियों से गुलजार रहती है. जो चारों ओर से प्राकृतिक आकर्षणों से घिरी हुई है. अगर आप घूमने का शौक रखते हैं तो यहां सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां आप प्रकृति का दीदार नजदीकी से कर सकते हैं. वहीं नैनी झील में इठलाती हुई नौकाएं और रंग बिरंगे बोट इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं.
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अन्य पर्यटक स्थल:नैनीझील के आस-पास सातताल, नौकुचियाताल, सरिया ताल, खुर्पाताल, गरुण ताल, भीमताल, सूखा ताल झील भी हैं. जहां जाना सैलानी नहीं भूलते. वहीं पक्षियों का संसार देखने के लिए भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं और उनकी चहचहाहट लोगों को मानसिक शांति की अनुभूति कराती है.
सैलानी नैनाताल केव गार्डन, नैना देवी मंदिर और हिमालय दर्शन करना नहीं भूलते हैं. वहीं नैनीताल की चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. इस चोटी से आप हिमालय और नैनीताल झील का दीदार कर सकते हैं. सैलानी लौटते वक्त यहां की खूबसूरत यादों को अपने जहन में कैद कर ले जाते हैं.
पौराणिक महत्व:बात करें नैनीझील के पौराणिक महत्व की तो नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.