लक्सरः युवाओं का रुझान धीरे-धीरे खेती की ओर बढ़ रहा है. बेरोजगार युवा खेती में आधुनिक तकनीकी अपनाने के साथ ही नए-नए प्रयोग भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये युवा घर पर ही उन्नत किस्म की गन्ने की पौध भी तैयार कर रहे हैं. साथ ही खेती को रोजगार के रूप में अपना रहे हैं. इससे किसानों का खेती में लागत कम होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ रहा है.
लक्सर में युवा तैयार कर रहे गन्ने की उन्नत किस्म. इस्माइलपुर गांव निवासी प्रतीक सैनी भी ऐसे ही युवा हैं. जिन्होंने खेती को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला है. इसके लिए वो नई तकनीकों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. साथ ही घर पर ही गन्ने की पौध तैयार कर रहे हैं. प्रतीक ने बताया कि मिल से गन्ने का जो बीज उन्हें उपलब्ध कराया जाता है, वो एक आंख वाला (जहां से गन्ने का नया पौधा निकलता) होता है. जिसे वो तकनीक अपना कर नए तरीके से तैयार कर रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि इसके लिए वो नारियल के बुरादे की मदद से ट्रेंच विधि से पौध तैयार करते हैं. इससे कम बीज में ज्यादा क्षेत्रफल में बुवाई हो जाती है. इसके अलावा इस विधि से खेती करने पर एक बीघा क्षेत्र में 100 क्विंटल तक गन्ने की फसल का उत्पादन किया जा सकता है. जबकि, सामान्य विधि से एक बीघा भूमि में 60 से 70 कुंटल ही गन्ने की फसल तैयार होती है. ऐसे में इस तरह की खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
वहीं, प्रतीक से प्रेरणा लेकर अन्य युवा और किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं. इस विधि में गन्ने के बीज (पैड़ी) को 4 से 5 इंच काटा जाता है. इसके बाद फ्रेम में नारियल के बुरादे में उन्हें लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस विधि से कम समय और कम स्थान पर ही अधिक बीज उपलब्ध होता है. साथ ही ट्रेंच विधि से एक ही स्थान पर गन्ने के एक से अधिक पौधे उगाने के बजाय सामान्य दूरी पर ही गन्ने की फसल उगती है. इससे उत्पादन भी बढ़ता है.
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प्रतीक सैनी का कहना है कि इस तरह के पैदावार से एक तो किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. उनकी ज्यादा आमदनी भी होगी. उन्होंने किसान भाइयों से अनुरोध करते हुए कहा कि खेती कर वह अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. वहीं, अन्य युवा ललित धीमान ने बताया कि इस तरह से पौध तैयार करने से किसान को एक बीघे में 100 क्विंटल से ज्यादा की फसल तैयार होगी. किसान को इससे ज्यादा फायदा होगा. ऐसे में किसान ज्यादा से ज्यादा इस तकनीक को अपनाएं.