हरिद्वारःविवादित बयानों के चलते हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar Dharma Sansad controversy) अभी भी सुर्खियों में है. जहां धर्म संसद में शामिल संत अपनी बात पर अडिग हैं और हिंदुओं के खतरे में होने की बात कह रहे हैं. वहीं, मामले में कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम इसे बीजेपी की नींव हिलने का परिणाम बता रहे हैं. उनका साफ कहना है कि देश में न हिंदू, न मुसलमान न कोई और धर्म खतरे में हैं. बल्कि देश में बीजेपी की सरकार खतरे में है.
कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है कि बीजेपी मानती है कि धार्मिक उन्माद पैदा करने से सत्ता मिलती है. जबकि धर्म संसद करने वाले जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि तो उन्हें दलाल बता रहे हैं. उनकी बातों का जवाब देने से भी मना करते हैं. साथ ही कहा उनके नाम के साथ आचार्य लगने पर भी यति नरसिंहानंद प्रश्न खड़ा करते हैं. साथ ही पूछते हैं कि उन्हें आचार्य की उपाधि किसने दी?
ये भी पढ़ेंःहरिद्वार धर्म संसद पर बोले स्वामी नरसिंहानंद गिरि, बयान को दिया जा रहा तूल, मेरी हत्या की रची जा रही साजिश
आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है कि सनातन धर्म की जो मूल भावना है, वो क्षमा करना, प्रेम, त्याग, तपस्या, बलिदान, सेवा, अहिंसा और सत्य है. अहिंसा परमो धर्मा, सेवा परमो धर्मा, प्रेम सद्भावना का नाम हिंदुत्व है. दूसरे धर्म के मानने वालों को अपशब्द कहने वाले हिंदू नहीं हो सकते हैं. अगर सनातन धर्म का नाम लेकर धर्म का चोला पहनकर दूसरे धर्मों पर टिप्पणी करते हैं तो इसे वो धर्म संसद नहीं मानते हैं.