उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चैत्र अमावस्या: हरिद्वार की नारायणी शिला पर नाराज पितृ होते हैं शांत, ये है दोष से मुक्ति का उपाय - Narayani Shila

हरिद्वार की नारायणी शिला पर पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इसी कारण अमावस्या के मौके पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया से लोग यहां आकर अपने पितरों के लिए पूजा अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि नारायणी शिला पर पितरों का तर्पण करने से अशांत पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Narayani Shila of Haridwar
हरिद्वार की नारायणी शिला

By

Published : Apr 1, 2022, 4:10 PM IST

Updated : Apr 1, 2022, 5:21 PM IST

हरिद्वारः घर में यदि सुख शांति, विवाह आदि में आ रही बाधाओं से छुटकारा चाहिए तो पितरों का प्रसन्न होना सबसे ज्यादा जरूरी है. जिस घर में पितृ प्रसन्न रहते हैं, वह घर खुशहाली से परिपूर्ण रहता है. लेकिन यदि उसी घर में आपके पितृ नाराज हैं तो कहा जाता है कि उस घर में कभी सुख, शांति और चैन नहीं मिल सकता. धर्म नगरी हरिद्वार में ऐसा ही एक स्थान है जहां पर क्रोधित या अशांत पितरों को शांत किया जा सकता है. यही कारण है कि प्रत्येक अमावस्या पर यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. अमावस्या के दिन इस स्थान पर ऐसा लगता है मानों कोई बड़ा मेला आयोजित हो रहा हो.

कहा जाता है कि हरिद्वार स्थित नारायणी शिला पर पितरों का तर्पण करने से अशांत पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि अमावस्या के अवसर पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया से लोग यहां आकर अपने पितरों के लिए पूजा अर्चना करते हैं. पितृ विसर्जन अमावस्या श्राद्ध पक्ष की पितृ अमावस्या के समान फलदाई है. मान्यता है कि यदि पितरों के निमित्त किसी परिवार से कोई गलती हो गई हो तो वे नारायणी शिला पर पहुंच सिर्फ सच्चे मन से जल भी चढ़ा दें तो उनके पितृ शांत हो जाते हैं.

हरिद्वार की नारायणी शिला पर नाराज पितृ होते हैं शांत

क्या है नारायणी शिला का महत्व:नारायणी शिला के बारे में कहा जाता है कि एक बार गयासुर नामक राक्षस देवलोक से भगवान विष्णु यानी नारायण का श्रीविग्रह लेकर भाग गया. इस दौरान नारायण के श्राप से हवा में ही गयासुर के 3 टुकड़े हो गए. मस्तक वाला हिस्सा बदरीनाथ धाम के ब्रह्मकपाली नामक स्थान पर जाकर गिरा. हृदय वाले कंठ से नाभि तक का हिस्सा हरिद्वार के नारायणी मंदिर में गिरा और चरण गया (बिहार) में गिरे. इस दौरान नारायण के चरणों में गिरकर ही गयासुर की मौत हो गई और वहीं उसको मोक्ष प्राप्त हुआ.
ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2022: शनिवार से चैत्र नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पितृ दोष से मिलती है मुक्ति: पितृ दोष से पीड़ित लोग भी यहां पूजा करते हैं. जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके लिए इस मंदिर में पितृ दान, मोक्ष, जप, यज्ञ और श्राद्ध काल में अनुष्ठान भी किए जाते हैं. मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की आधी शिला की मूर्ति स्थापित है. यहां मंदिर में आसपास के क्षेत्र से हजारों छोटे-बड़े टीले हैं जिनको देखने लोग यहां आते हैं. ये टीले पिंड दान के लिए बनाए गए हैं.
क्या कहते हैं पुजारी: बीती कई पीढ़ियों से नारायणी शिला पर पूजा पाठ कराने वाले पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि इस स्थान से अतृप्त पितरों को अनंत काल के लिए तृप्त प्राप्ति हो जाती है. इस स्थान पर पूजा करने वालों को पितृ दोष से तो निश्चित ही मुक्ति मिलती है साथ ही पितृ दोष की वजह से पुत्र रत्न की प्राप्ति पर लगी रोक भी दूर हो जाती है. पितरों के आशीर्वाद के बिना ना पुत्र मिलता है और ना ही धन की प्राप्ति होती है. पितृ स्थान की इतनी महत्ता है कि घर में होने वाले किसी भी शुभ काम से पहले आदमी अपने पितृ स्थान पर आकर शीश नवाता है.

क्या कहते हैं श्रद्धालु: पितृ अमावस्या पर पहुंचे श्रद्धालु राजकुमार गुप्ता का कहना है कि आज वर्ष की सबसे बड़ी पितृ अमावस्या है. मान्यता है कि आज के दिन सिर्फ एक लोटा जल अपने पितरों के निमित्त नारायणी शिला पर चढ़ाने मात्र से ही पितृ तृप्त हो जाते हैं. इसी स्थान पर आकर अपने पूर्वजों को पितरों को जल चढ़ाने से आत्मिक शांति की अनुभूति होती है. श्रद्धालु शेष कुमार का कहना है कि इस स्थान से ही रुष्ट हुए पितृ शांत होते हैं. यही कारण है कि हम परिवार के साथ यहां पर पूजा अर्चना करने आए हैं.

Last Updated : Apr 1, 2022, 5:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details