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गंगा को साफ करने के लिए महिलाओं ने शुरू की मुहिम, निकाली ये तरकीब - गंगा घाटों पर रिंग

हरिद्वार में कुछ महिलाओं ने मां गंगा को स्वच्छ करने के लिए अपने मन की आवाज सुनकर एक मुहिम की शुरुआत की है. इस मुहिम से श्रद्धालुओं द्वारा गंगा घाटों पर छोड़े गए कपड़ों को गंगा में जाने से रोका जा सके, इन महिलाओं ने हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर रिंग रखने की शुरुआत की है.

गंगा को साफ करने के लिए महिलाओं ने शुरू की मुहिम.

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Published : Sep 24, 2019, 8:41 PM IST

हरिद्वार: गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन जब तक इस मुहिम में आम जन की भागीदारी नहीं होगी, तब तक गंगा को पूर्ण रूप से साफ नहीं किया जा सकता है. गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए धर्मनगरी की कुछ महिलाओं ने मन की आवाज मुहिम की शुरुआत की है, जिससे गंगा को शुद्ध बनाया जा सके. इस मुहिम के तहत महिलाओं ने गंगा नदी में रिंग बनाए हैं, जिसमें लोग अपने पुराने कपड़ों को इसमें डाल सकते हैं.

गंगा को साफ करने के लिए महिलाओं ने शुरू की मुहिम.

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन आज भी गंगा पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकी है, क्योंकि गंगा में आज भी गंदे नाले जा रहे हैं और कई प्रकार की गंदगी से गंगा प्रदूषित हो रही है.

वहीं, धर्मनगरी की कुछ महिलाओं ने मां गंगा को स्वच्छ करने के लिए अपने मन की आवाज एक मुहिम की शुरुआत की है, जिससे श्रद्धालुओं द्वारा गंगा घाटों पर छोड़े गए कपड़ों को गंगा में जाने से रोका जा सके, इन महिलाओं ने हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर रिंग रखने की शुरुआत की है, जिससे श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के बाद अपने पुराने कपड़ों को गंगा में बहाने और घाटों पर छोड़ने की बजाय इस रिंग में डाले. इसके बाद इन पुराने कपड़ों को रिसाइक्लिंग कराकर एक बार फिर उपयोगी बनाया जा सकेगा. साथ ही रिसाइक्लिंग करने के बाद ये कपड़े गरीब लोगों के काम आ सकेंगे.

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इसके साथ ही महिलाओं ने श्रद्धालुओं को गंगा के प्रति जागरूक करने के लिए एक संदेश भी बनाया है जो श्री गंगा सभा द्वारा हरिद्वार, हरि की पैड़ी पर लाउड स्पीकर द्वारा निरंतर चलाया जाएगा. इसमें महिलाएं श्रद्धालुओं को गंगा में कपड़े न डालने के लिए प्रेरित करेंगी. इस मुहिम को शुरू करने वाली महिलाओं का कहना है कि हरिद्वार गंगा स्नान करने लाखों श्रद्धालु आते हैं. वह अपनी परंपरा के अनुसार अपने गीले कपड़े यहीं छोड़ जाते हैं. इसे देखकर काफी दुख होता है इन कपड़ों की वजह से काफी गंदगी होती है और यह गीले कपड़े गंगा में रुक जाते हैं.

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