हरिद्वार:धर्मनगरी हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में इन दिनों विशाल मेला लगा हुआ है. एक जुलाई से शुरू होकर यह मेला 28 जुलाई तक यानी करीब एक महीने तक चलेगा. यह मेला दिल्ली की देव इवेंट ऑर्गेनाइजर कंपनी की ओर से लगाया गया है. हालांकि, अब इन मेलों को देखने उतनी संख्या में दर्शक नहीं पहुंच रहे हैं जबकि, मेले में बड़े-बड़े एम्यूजमेंट पार्क की तर्ज पर अत्याधुनिक तकनीक के झूले लगाए गए हैं.
हरिद्वार महोत्सव में यह है खास:हरिद्वार के मशहूर ऋषिकुल मैदान में आयोजित हो रहे हरिद्वार महोत्सव को और आकर्षक बनाने के लिए आयोजकों ने यहां पर ओपन स्टेज कंपटीशन, हनुमान कथा आयोजन, डांसिंग, सिंगिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है ताकि घरों में रहने वाले बच्चों की प्रतिभा और निखर सकें.
सुरक्षा पर रहता है ध्यान:आयोजकों का दावा है कि उनके यहां लगाए गए झूले पूरी तरह से सुरक्षित हैं. झूलों को शुरू करने से पहले उनकी रोजाना गहनता से चेकिंग की जाती है, इनकी चेकिंग के लिए अलग से एक पूरी टीम बनाई गई है. वहीं, जांच पूरी होने और अधिकारी के संतुष्ट होने के बाद ही झूलों को जनता के लिए खोला जाता है.
विलुप्त हो रहे मेले:धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ और अर्ध कुंभ के दौरान कई तरह के मेलों का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. बड़े-बड़े मंचों से लोग अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन साल 2016 के बाद पड़ने वाले 2021 के कुंभ में कोरोना के चलते यह आयोजन नजर नहीं आए. हरिद्वार में अब आलम ये है है कि बीते 15 साल से समय-समय पर होने वाले महोत्सव और मेले गायब से हो गए हैं, जो कभी कभार मेले आयोजित होते भी हैं. उनमें ना तो वैसी भीड़ ही नजर आती है और ना ही अब आयोजक इनमें ज्यादा रुचि दिखाते हैं. सदियों से चले आ रहे यह मेले अब लगभग विलुप्ति की कगार पर आ गए हैं.
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मेला आयोजक निराश:करीब डेढ़ दशक पहले तक हरिद्वार के कई इलाकों में अलग-अलग तरह के मेले और महोत्सव का आयोजन होता रहता था, जिसमें न केवल स्थानीय बल्कि आसपास के शहरों से भी लोग शिरकत करने पहुंचते थे लेकिन बीते डेढ़ दशक से हरिद्वार में इस तरह के आयोजन अब कम हो गए हैं. इतना ही नहीं जो आयोजन होते भी हैं. उसमें भी उम्मीद से काफी कम संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिस कारण आयोजक काफी निराश हैं.
मोबाइल युग बना दुश्मन:करीब डेढ़ दशक पहले तक हरिद्वार में समय-समय पर ऐसे आयोजन कई कई दिनों तक चलते थे, जिनमें न केवल हरिद्वार की जनता बल्कि आसपास के शहरों से भी लोग मनोरंजन करने पहुंचते थे लेकिन जैसे-जैसे मोबाइल का दौर आया लोगों की रुचि भी इनसे हट गई.