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लॉकडाउन में नौकरी गंवाई तो बने आत्मनिर्भर, हर महीने लाखों कमा रहे हैं इंजीनियर्स

रुड़की से सटा मंगलौर कस्बा का घोसीपुरा गांव, जहां रहने वाले तीन युवाओं ने एक अनोखा गोट फार्म बनाया है. इस फार्म से जहां वह खुद को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. वहीं, कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

तीन इंजीनियर दोस्तों की अनोखी पहल
तीन इंजीनियर दोस्तों की अनोखी पहल

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Published : Mar 25, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 10:46 PM IST

रुड़की: एक तरफ जहां शिक्षित बेरोजगार युवा पकौड़ा तलकर सरकार पर कटाक्ष कर रहे हैं. वहीं, कुछ युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत आह्वान पर स्वरोजगार अपना कर लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. कुछ ऐसी ही मंगलौर कस्बे के घोसीपुरा गांव में रहने वाले तीन इंजीनियर्स की कहानी है, जो अपने साथ साथ लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

लॉकडाउन में नौकरी गंवाई तो बने आत्मनिर्भर.

घोसीपुरा गांव के तीन दोस्तों का कमाल

ये है रुड़की से सटा मंगलौर कस्बा का घोसीपुरा गांव, जहां रहने वाले तीन युवाओं ने एक अनोखा गोट फार्म बनाया है. इस फार्म से जहां वह खुद को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. वहीं, कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि ये गांव में रहने वाले कम शिक्षित या किसान हैं, तो आपको बता दें कि ये तीनों युवा इंजीनियर है. इन तीनों ने पंतनगर यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री हासिल कर, अपनी तकनीक से इस फार्म का ईजाद किया है. इस फार्म में एक साथ चार प्रजातियों की बकरी, तीन प्रजातियों की मुर्गी, मछली और गाय का पालन किया जा रहा है. जिससे अच्छी खासी आमदनी हो रही है.

इंजीनियर युवाओं ने खोला गोट फार्म

ये तीनों दोस्त गोट फार्म खोलकर स्थानीय युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं. साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के पीएम मोदी के सपने को भी साकार कर दिखाया है. घोसीपुरा गांव में तीनों इंजीनियर दोस्तों ने खेती की जमीन पर एक गोट फार्म तैयार किया है. इस फार्म से प्रत्येक माह करीब 1 लाख रुपये तक की कमाई होने लगी है. इतना ही नहीं ये तीनों एक कंपनी के लिए वर्क फरोम होम से काम भी कर रहे हैं.

इंजीनियर युवाओं ने खोला गोट फार्म

लॉकडाउन में लौटे थे घर

इन तीनों दोस्तों में से एक तसव्वर अली भी है. उनका कहना है कि वो 2020 में लॉकडाऊन के दौरान महाराष्ट्र से घर आ गए थे. नौकरी ना होने पर उन्होंने इस फार्म को बनाया. वहीं, इस फार्म के अंदर वर्तमान में चार प्रजातियों की बकरी, तीन प्रजाति की मुर्गी, मछली और गाय का पालन किया जा है. इस फार्म के जरिये वह कई युवाओं को रोजगार भी दे रहे है. उनका कहना है कि कोई भी काम करने में मेहनत और कठनाई जरूर आती है, लेकिन धैर्य रखना बहुत जरूरी होता है. तभी मंजिल मिल पाती है.

हर महीने एक लाख तक की कमाई

उन्होंने बताया अब महीने में एक लाख तक भी कमाई इस फार्म से हो जाती है. वही, उन्होंने बताया किसानों के पास जमीन कम होती जा रही है और उसमें गन्ना बोने के अलावा किसानो के पास कोई और विकल्प नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत के तहत किसान पशुपालन भी करें तो आय दोगुनी हो सकती है.

गाय पालन से आमदनी

गोट फार्म के कमाई के मुख्य स्रोत ये है.
तसव्वर ने बताया कि रोज 4 गाय का दूध 30 लीटर बिकता है, वो हम आंचल डेयरी को सप्लाई करते हैं. जो 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. उससे हमारी हर महीने 25 से 30 हजार की इनकम होती है. वहीं, देसी मुर्गियों का 10 रुपये का एक अंडा बिकता हैं, जिससे हम 5 हजार से 6 हजार रुपये की आय हर महीने होती है. वहीं, बकरी का दूध डेंगू जैसी बीमारी और टाइफाइड में बहुत लाभदायक होता है, जिसमें 200 रुपये लीटर तक दूध बिक जाता है.

बकरी पालन से मुनाफा

तसव्वर ने कहा कि इसके साथ ही बकरे को हम मीट के लिए सेल करते हैं, जो 350 रुपये पर किलो जिंदा जानवर बिक जाता हैं. हम बकरीद के लिए अलग से खस्सी बकरे तैयार करते हैं, जो अच्छा मुनाफा देते हैं. वहीं, हम लोग किसानों को बकरियां और उनके बच्चे बेचते हैं. साथ ही लोगों को ब्रीडिंग करने के लिए भी बकरियां उपलब्ध कराते हैं.

देसी मुर्गा पालन

देसी मुर्गा पालन इनकम का अच्छा स्रोत

उन्होंने बताया कि हमारे फार्म का देसी मुर्गा एक हजार से 1500 रुपये तक बिकता हैं, जो 6 महीने में तैयार हो जाता हैं. साथ में हम फार्म पर ऑर्गेनिक सब्जी जैसे प्याज, लहसुन, टमाटर आदि भी उगाते हैं, जिसमें हम ऑर्गेनिक कंपोस्ट यूज करते हैं, जो फार्म पर ही तैयार होता है. जो बकरियों और गाय के गोबर से तैयार किया जाता है.

आत्मनिर्भर पर जोर, पलायन पर रोक

युवा इंजीनियरों का कहना है कि धीरे धीरे फार्म को बड़ा किया जा रहा है और अभी 5 बीघे में काम शुरू हुआ है. साथ ही इसमें आर्गनिक खेती भी की जा रही है. इंजीनियरों के इस काम को पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है. वहीं, युवाओं की ये पहल नौकरी की तलाश में दर दर भटकने वाले युवकों को आत्मनिर्भर बनने में कारगर साबित हो रही है. साथ ही पलायन रोकने में भी कारगर है. युवा इंजीनियरों की ये सोच क्षेत्र के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा साबित हो रही है.

बकरी पालन से मुनाफा
Last Updated : Mar 25, 2021, 10:46 PM IST

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