हरिद्वार: महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. मां गंगा के पावन तट पर हरिद्वार महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार में मौजूद हैं. वहीं, हरिद्वार में शाही स्नान को लेकर अद्भुत छटा बिखरी हुई है. मेष संक्रांति के मौके पर हरिद्वार महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान हो रहा है.
जिला प्रशासन के मुताबिक 4 अप्रैल को मेष संक्रांति का शाही स्नान भी 12 अप्रैल की तर्ज पर हो रहा है. सुबह सात बजे से पहले आम श्रद्धालु हरकी पौड़ी पर स्नान कर सकेंगे. जबकि सुबह 9 बजे से 13 अखाड़े क्रमवार हरकी पौड़ी पर गंगा स्नान करेंगे. दूसरे शाही स्नान पर कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ती देख सीएम तीरथ सिंह रावत ने श्रद्धालुओं से नियमों के पालन करने की अपील की है.
मुख्यमंत्री ने हरिद्वार महाकुंभ मेले के तीसरे 'शाही स्नान' के लिए आने वाले सभी भक्तों से मास्क पहनने और कोरोना नियमों का पालन करने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और हाथों को साफ करने का अनुरोध किया है.
अखाड़ों के स्नान का समय
- सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा अपने साथी आनंद के साथ अपनी छावनी से 8:30 बजे चलेगा और हरकी पौड़ी पर पहुंचकर मां गंगा में स्नान करेगा.
- उसके बाद 9 बजे जूना अखाड़ा व अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा को स्नान के लिए दिया गया है.
- 9:30 पर महानिर्वाणी अपने साथी अटल के साथ कनखल से हरकी पौड़ी की ओर करेगा रुख करेगा.
- उसके बाद तीनों बैरागी अखाड़े (श्रीनिर्मोही अणी, दिगंबर अणी, निर्वाणी अणी) 10:30 हरकी पौड़ी पहुंचेंगे.
- उसके बाद श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा 12:00 बजे अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी की ओर रुख करेगा.
- लगभग 2:30 बजे श्री पंचायती नया उदासीन अपने हरकी पौड़ी की रुख करेगा.
- आखिर में श्रीनिर्मल अखाड़ा 3 बजे के करीब अपने अखाड़े से हरकी पौड़ी का रूख करेगा.
मेष संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त
- मेष संक्रांति पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक.
- पुण्य काल की अवधि- 06 घंटे 25 मिनट.
- मेष संक्रांति महापुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक.
बैसाखी के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है. हरिद्वार महाकुंभ में बैसाखी के मौके पर अखाड़ों के संत और श्रद्धालु शाही स्नान कर रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सूर्य, मेष राशि में गोचर करते हैं. इसी वजह से इस त्योहार के मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. बैसाखी पर रबी की फसल की कटाई शुरू होती है जिसकी वजह से इस दिन को सफलता के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गेहूं, तिलहन समेत गन्ने आदि फसलों की कटाई भी शुरू कर दी जाती है.
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करीब 850 साल पुराना इतिहास