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Published : Apr 25, 2019, 7:34 PM IST

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कुत्ता या बंदर काटे तो रुड़की के सिविल अस्पताल नहीं आना, आए तो हो जाएगी मुश्किल

प्रतिदिन शहर और आसपास के गांव से लोग अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें इंजेक्शन न होने के कारण बैरंग लौटना पड़ता है या फिर बाहर से लाकर इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है.

एंटी रेबीज इंजेक्शन

रुड़की: कुत्ता, बंदर या अन्य जानवर के काटने पर लगाए जाने वाले एंटी रेबीज इंजेक्शन का रुड़की सिविल अस्पताल में टोटा है. पिछले 4 दिनों से अस्पताल में इंजेक्शन न होने से मरीजों को बाहर से इंजेक्शन लाकर लगवाना पड़ रहा है.

सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन का टोटा.

रुड़की के सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन न होने से जरूरतमंद काफी परेशान हैं. इंजेक्शन की किल्लत लोगों को प्राइवेट उपचार कराने को मजबूर कर रही है. अस्पताल में करीब 4 दिनों से एंटी रेबीज इंजेक्शन न होने से कुत्ते के काटने के शिकार बच्चे व बड़े प्रतिदिन बैरंग लौटने को मजबूर हैं. अस्पताल में लगे चार्ट के अनुसार इंजेक्शन उपलब्ध बताए जा रहे हैं.

आपको बता दें कि प्रतिदिन शहर और आसपास के गांव से लोग अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें इंजेक्शन न होने के कारण बैरंग लौटना पड़ता है या फिर बाहर से लाकर इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है.

अस्पताल कार्यवाहक सीएमएस एके मिश्रा ने बताया इंजेक्शन इसी सप्ताह खत्म हुए हैं. डिमांड डीजी ऑफिस को भेजी जा चुकी है जल्द ही समस्या का समाधान होने की संभावना है. आपको बता दें कि एंटी रेबीज इंजेक्शन कुत्ते और बंदर के काटने के बाद मरीज को लगवाने पड़ते हैं.

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एक इंजेक्शन के लिए सरकारी अस्पताल में 23 रुपये की पर्ची काटी जाती है, लेकिन बाजार से अगर मरीज को इंजेक्शन खरीदकर लाना पड़े तो उसे 300 से 400 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि एक मरीज को चार इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है.

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