हरिद्वार: अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन से पहले राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के महामंडलेश्वर और साध्वी ऋतंभरा के गुरु युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के लोगों के द्वारा लाई गई मिट्टी को हम अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास में लेने को तैयार हैं, यदि मुस्लिम समाज हमें खुशी-खुशी काशी और मथुरा के धार्मिक स्थानों सौंप दें, इससे दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बनेगा. उन्होंने कहा कि हम राम-शिव और कृष्ण के भक्त हैं. हमारी इन पावन पवित्र स्थानों के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है. मुस्लिम समुदाय के इस कदम से गंगा-जमुनी तहजीब को और अधिक मजबूती मिलेगी.
युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि का कहना है कि जब श्री राम जन्मभूमि आंदोलन चला था, तब राम भक्तों ने नारा दिया था- अयोध्या-मथुरा-विश्वनाथ तीनों लेंगे एक साथ. अब समय आ गया है कि देश में सद्भावना और भाई-चारे के लिए मुस्लिम समुदाय को काशी विश्वनाथ और मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि स्थल का किया गया कब्जा हिंदुओं को वापस कर देना चाहिए.
स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि काशी और मथुरा को हासिल करने के लिए फिलहाल हम कोई आंदोलन चलाने की योजना नहीं बना रहे हैं क्योंकि कोई भी आंदोलन एक व्यक्ति के द्वारा नहीं संगठन के द्वारा चलाया जाता है. परंतु यह दोनों स्थान हमारी आस्था और भावना से जुड़े हैं. मुगल काल में केवल मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने का कार्य किया गया था.
परमानंद गिरि महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाणक्य बताते हुए कहा कि जैसे चाणक्य ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए शिखा खोल दी थी और शिखा में गांठ तब बांधी जब उनकी प्रतिज्ञा पूरी हुई. इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में कई साल पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प जागा था. अब यह संकल्प पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में मंदिर का शिलान्यास करने आ रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधु की संज्ञा देते हुए कहा कि वो नवरात्रि में व्रत रखते हैं, गंगा की आरती करते हैं, शिव का अभिषेक करते हैं.
उन्होंने कहा कि एक पार्टी द्वारा हमारे मंदिरों के लिए यह बोला गया कि हम ईंट पत्थर की लड़ाई लड़ रहे हैं. मस्जिद को कुछ राजनेताओं ने पवित्र बताया यानी हमारे मंदिर ईंट पत्थर के हो गए. राम को काल्पनिक बता दिया और कहा कि राम का जन्म ही नहीं हुआ. यह बातें कहकर हिंदुओं का अपमान किया गया. इन्हीं बातों से संत और हिंदू जनमानस श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ता चला गया और यह हिंदुओं के स्वाभिमान का प्रश्न बन गया. जिससे हिंदुओं को और ताकत मिली और हिंदू एक हुए.