हरिद्वार: स्ट्रीट वेंडर्स को उनके कारोबारी स्थान से हटाए जाने के विरोध में लघु व्यापार एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष के नेतृत्व में रेहड़ी-ठेली व फड़ व्यापारियों ने तुलसी चौक से नगर निगम कार्यालय तक मार्च कर जोरदार प्रदर्शन किया. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने नगर आयुक्त कार्यालय का घेराव करते हुए कहा कि नगर निगम प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा छोटे व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है.
छोटे व्यापारियों ने आरोप लगाया कि नगर निगम प्रशासन की लापरवाही की वजह से रेहड़ी पटरी कारोबारियों को सिंचाई विभाग द्वारा उनके स्थानों से हटाया जा रहा है. जबकि, पूर्व में फेरी समिति की बैठकों में निर्णय लिया गया था कि दो सप्ताह के भीतर रेहड़ी-पटरी व्यापारियों को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर योजना, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, नगरीय फेरी नीति नियमावली के नियम अनुसार वेंडिंग जोन के रूप में स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे.
इस मौके पर लघु व्यापार एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय चोपड़ा ने कहा कि यह बड़े दु:ख का विषय है कि प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर योजना के तहत सरकार छोटे कारोबारियों को 10 हजार रुपये कर्ज के रूप में देने की बात कर रही है. ताकि रेहड़ी पटरी कारोबारियों का व्यापार चल सके. वहीं, दूसरी तरफ इन छोटे व्यापारियों को इनके कारोबारी स्थान से हटाया जा रहा है. ऐसे में यह दोहरा मानक नहीं चल पाएगा.
चोपड़ा ने कहा कि रेहड़ी पटरी वालों को 10 हजार रुपये का कर्ज नहीं चाहिए. उनको सिर्फ अपना कारोबारी स्थान चाहिए. कुंभ मेले को लेकर जो विकास कार्य चल रहे हैं. वह काम पहले भी किये जा सकते थे. उत्तराखंड राज्य में फेरी नीति कानून है कि जब तक रेहड़ी पटरी वालों को किसी अन्य स्थान पर शिप्ट नहीं किया जाएगा. तबतक उनको पूर्व स्थान से नहीं हटाया जा सकता. लेकिन हरिद्वार नगर निगम प्रशासन इन तमाम नियम कायदों का मखौल उड़ा रहा है. इससे ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री जो बोल रहे हैं वह गलत बोल रहे हैं और जो ये अधिकारी बोल रहे हैं. वह सही कह रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि हरिद्वार में रेहड़ी पटरी वाले तकरीबन 8 से 10 हजार परिवार है. इनका कहना था कि 22 सितंबर की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि 15 दिन के अंदर इसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी. लेकिन इसमें देरी क्यों की जा रही है.