रुड़की:उत्तराखंड में लगातार बादल फटने और बाढ़ आने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी इस मामले में चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि आपदा होने के कारणों और इससे बचने के लिए शोध करने की जरूरत है.
बता दें कि रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहाड़ों में लगातार हो रहे भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि प्रकृति से लड़ना नामुमकिन है लेकिन बचाव इसका बेहतर तरीका हो सकता है.
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जताई लगातार हो रही बारिश पर चिंता. वैज्ञानिक मनोहर सिंह ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में होने वाली बारिश और शहरी इलाकों में होने वाली बारिश में काफी अंतर होता है. पहाड़ों में 50 से 100 मिलीमीटर बारिश होती है. जोकि तबाही का कारण बन जाती है. इसलिए पहाड़ों पर डाप्लर रडार, रैन गजिज, या फिर अर्ली मॉर्निंग सिस्टम लगाकर जनहानि रोकी जा सकती है.
मामले को लेकर मनोहर सिंह ने कहा कि पहाड़ों पर इंसिस्टेंस लगाकर बारिश से कुछ देर पहले ही लोगों को सचेत किया जा सकता है.